‘एक देश-एक चुनाव’ को मिली कैबिनेट की मंजूरी, जल्द पेश होगा बिल
‘एक देश- एक चुनाव’ विधेयक को केंद्र सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. सूत्रों के अनुसार, इस विधेयक को मौजूदा सत्र में संसद में पेश किए जाने की संभावना है. यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को विस्तृत चर्चा के लिए भेजा जा सकता है. कैबिनेट ने इस मुद्दे पर बनी रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है. सरकार चाहती है कि इस विधेयक पर व्यापक सहमति बने और सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाए.
संयुक्त संसदीय समिति विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों और अन्य प्रबुद्ध व्यक्तियों से चर्चा करेगी. इसके साथ ही आम जनता की राय भी ली जाएगी. समिति एक देश- एक चुनाव के फायदों और इसे लागू करने के तरीकों पर विस्तृत चर्चा करेगी. सरकार को उम्मीद है कि यह प्रक्रिया सभी पक्षों को संतुष्ट करेगी और व्यापक आम सहमति बनेगी.
रामनाथ कोविंद समिति की सिफारिशें
सितंबर 2023 में मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. इस समिति ने अपनी सिफारिशें मार्च 2024 में सरकार को सौंपी थी. रिपोर्ट में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को दो चरणों में आयोजित करने की सिफारिश की गई है. पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं, जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव 100 दिनों के भीतर आयोजित किए जाएं.
समिति ने 191 दिनों के विचार-विमर्श के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी, इसमें राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है, ताकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें. रिपोर्ट के अनुसार, यदि नो कॉन्फिडेंस मोशन या हंग असेंबली की स्थिति उत्पन्न होती है, तो 5 साल की अवधि के शेष कार्यकाल के लिए चुनाव कराए जा सकते हैं. रिपोर्ट में सुरक्षा बलों, प्रशासनिक अधिकारियों और अन्य संसाधनों के प्रबंधन के लिए चुनाव आयोग को पहले से योजना बनाने की सिफारिश की गई है.
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समिति में आठ सदस्य
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति में कुल आठ सदस्य शामिल थे. इनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, डीपीए नेता गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल थे.
वहीं इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है. इससे चुनावों में होने वाले भारी खर्च और प्रशासनिक जटिलताओं को कम किया जा सकेगा, यह प्रस्ताव बीजेपी के प्रमुख घोषणापत्र लक्ष्यों में शामिल है. 1951 से 1967 तक भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित होते थे. लेकिन राज्यों के पुनर्गठन और नए राज्यों की स्थापना के कारण 1968-69 में यह प्रक्रिया बाधित हो गई. अब इसे फिर से शुरू करने पर गंभीर विचार हो रहा है, ताकि देशभर में एक समान चुनाव प्रणाली स्थापित की जा सके.