दुनिया की सबसे महंगी कार रोल्स रॉयस नहीं बल्कि 69 साल पुरानी स्पेशल एडिशन…
दुनिया में जब भी कभी महंगी कार का जिक्र होता है तो, सबसे पहले रोल्स-रॉयल ला रोज नॉयर ड्रॉपटेल का ख्याल आता है. इसकी कीमत 30 मिलियन डॉलर यानी करीब 252 करोड़ रूपए है. दूसरी ओर क्या आपने 1950 में मर्सिडीज-बेंच द्वारा लॉन्च की गई मर्सिडीज-बेंज 300 एसएलआर उहलेनहॉट कूप के बारे में सुना है ? इस विंटेज कार की हाल ही में 142 मिलियन डॉलर में नीलामी की गई है और इसके साथ ही इसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे महंगी चार पहिया वाहन का खिताब भी हासिल कर लिया है. इस कार की कीमत लाखों डॉलर में है और इसे खरीदने के लिए एक शख्स को करीब 143 मिलियन डॉलर खर्च करने पड़े हैं. यह कीमत एक रॉयल्टी या एक ऐतिहासिक धरोहर से कम नहीं है. आइए जानते हैं इस कार के बारे में विस्तार से….
मर्सिडीज-बेंज 300 एसएलआर का इतिहास
मर्सिडीज-बेंज 300 एसएलआर (Mercedes-Benz 300 SLR) 1950 के दशक की एक सुपरस्पोर्ट्स कार थी, जो उस समय के रेसिंग और प्रौद्योगिकी की धरोहर मानी जाती थी. इसे 1950 में मर्सिडीज-बेंज द्वारा पेश किया गया था. इस कार का नाम “एसएलआर” का मतलब था “Sport Leicht Rennsport” (स्पोर्ट लाइट रेसिंग स्पोर्ट) और यह कार वास्तव में एक रेसिंग मशीन थी. इसे सबसे पहले मर्सिडीज-बेंज के मुख्य डिजाइनर और इंजीनियर रुदोल्फ उबेल्हेर द्वारा डिजाइन किया गया था. इस कार की खास बात यह थी कि इसे रोड और रेसिंग ट्रैक दोनों के लिए तैयार किया गया था.
300 एसएलआर का इंजन 3.0-लीटर छह सिलेंडर का था, जो 310 हॉर्सपावर की ताकत उत्पन्न करता था. इसकी टॉप स्पीड 180 मील प्रति घंटे (288 किमी/घंटा) तक जाती थी, जो उस समय के लिए बहुत तेज़ थी. यह कार 0 से 60 मील प्रति घंटे (96 किमी/घंटा) की गति मात्र 7 सेकंड में पकड़ सकती थी. इसके अलावा इसमें अद्वितीय एरोडायनामिक्स और हलके वजन वाले मैग्नीशियम मिश्रण का इस्तेमाल किया गया था.
क्यों इतनी महंगी है मर्सिडीज-बेंज 300 एसएलआर ?
मर्सिडीज-बेंज 300 एसएलआर की इस विशेष संस्करण की इतनी उच्च कीमत को समझना मुश्किल नहीं है. इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
ऐतिहासिक महत्व: यह कार न केवल अपनी डिजाइन और तकनीकी क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी बहुत अधिक है. 1955 में जब इस कार को पेश किया गया, तो यह उस समय की सबसे तेज़ और सबसे उन्नत कारों में से एक थी. इसके अलावा, इस मॉडल का केवल एक ही प्रोटोटाइप था, जिससे इसकी दुर्लभता और अधिक बढ़ जाती है.
विरासत और कलेक्टर का मूल्य: मर्सिडीज-बेंज 300 एसएलआर की यह कार एक कलेक्टर की आइटम बन चुकी है. कार कलेक्टर्स और ऑटोमोटिव इतिहास के शौकीन इस कार को अपने संग्रह में शामिल करने के लिए बड़ी कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं. इस प्रकार की कारें समय के साथ उनकी उच्च कीमतों के साथ और भी दुर्लभ और मूल्यवान बन जाती हैं.
न्यूनतम उत्पादन: इस कार का केवल एक ही विशेष संस्करण बनाया गया था, जिससे इसकी संख्या अत्यधिक सीमित हो गई है. इसलिए इसकी मूल्यवृद्धि स्वाभाविक है.
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रेसिंग से क्यों कर दी गई थी बाहर ?
मर्सिडीज-बेंज 300 एसएलआर उहलेनहॉट कूप को रेसिंग ट्रैक पर भी उतारा गया था और यह कार 1954 में अपनी शानदार प्रदर्शन से बहुत चर्चित हुई. उस साल, इस कार ने 12 रेसों में से 9 में जीत हासिल की थी, जिससे यह लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रही थी. हालांकि, साल 1955 में ले मैन्स रेस के दौरान एक भयंकर दुर्घटना का शिकार हुई थी, जिसमें कार चालक के साथ-साथ 83 दर्शकों की भी मौत हो गई. इस दुखद घटना के बाद मर्सिडीज ने 300 एसएलआर को रेसिंग से हटा दिया गया था. यह दुर्घटना न केवल रेसिंग की दुनिया में एक बड़ा झटका थी, बल्कि इसने इस कार को रेसिंग से दूर करने का कारण भी बना दिया. 300 एसएलआर की यह दुखद कहानी इसे रेसिंग इतिहास का एक अहम हिस्सा बनाती है.