वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज पर वक्फ बोर्ड ने जताया मालिकाना हक, भेजा नोटिस

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वाराणसी: संसद के वर्तमान सत्र में केंद्र सरकार वक्फ संशोधन बिल लाने वाली है, जिसको लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है. इसी बीच वाराणसी के प्रतिष्ठित उदय प्रताप कॉलेज (यूपी कॉलेज) को लेकर एक नया विवाद उठ खड़ा हुआ है. यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ ने यूपी कॉलेज की जमीन को वक्फ संपत्ति बताने का दावा किया है, जिससे माहौल गरमा गया है. इस मुद्दे से जुड़ा नोटिस 2018 में ही भेजा गया था, लेकिन अब 6 साल बाद यह एक बार फिर चर्चा में आ गया है.

वक्फ बोर्ड ने किया यह दावा

दरअसल, 2018 में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ के सहायक सचिव आले अतीक ने वक्फ एक्ट 1995 के तहत यूपी कॉलेज के प्रबंधक को नोटिस भेजा था, जिसमें कॉलेज की सैकड़ों एकड़ जमीन पर वक्फ संपत्ति का दावा किया गया था. इसके बाद, कॉलेज प्रबंधन ने 21 दिसंबर 2018 को जवाब दिया था, जिसमें बताया गया कि, इस कॉलेज की स्थापना इंडोनमेंट ट्रस्ट के तहत की गई थी और ट्रस्ट की जमीन न तो खरीदी जा सकती है और न ही बेची जा सकती है. इसके बावजूद, वक्फ बोर्ड की तरफ से किसी प्रकार का नया जवाब नहीं आया.

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कॉलेज के प्रिंसिपल ने दी ये जानकारी

इसको लेकर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीके सिंह ने बताया कि, ‘सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से सैकड़ों एकड़ में फैले यूपी कॉलेज कैंपस पर दावा ठोका था. जिसका जवाब देकर बताया गया था कि इस कॉलेज की स्थापना इंडोनमेंट ट्रस्ट के द्वारा की गई है. ट्रस्ट की जमीन न तो खरीदी जा सकती है और न ही बेची जा सकती है. उन्होंने बताया कि इस जवाब के बाद बोर्ड की तरफ से कोई रिप्लाई नहीं आया. हालांकि इस बीच एक मस्जिद का निर्माण कार्य इन लोगों द्वारा शुरू करवाया गया. इस मामले में तुरंत कॉलेज प्रबंधन द्वारा थानाध्यक्ष शिवपुर को अवगत करवाते हुए निर्माण सामाग्री को मौके से हटवाया गया. मस्जिद में बिजली भी यूपी कॉलेज के कनेक्शन से चल रही थी, जिसे भी अब हटवा लिया गया है. अब उन्हें नया कनेक्शन नहीं मिल पा रहा क्योंकि उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है.”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी थी प्रतिक्रिया

वहीं, इस विवाद के बीच यूपी कॉलेज के पुराने और वर्तमान छात्रों में आक्रोश भी देखने को मिल रहा है. इस मुद्दे ने अचानक फिर से तूल पकड़ा है. गौरतलब है कि, दो दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी कॉलेज को विश्वविद्यालय का दर्जा देने की बात कही थी, जिससे इस विवाद का राजनीतिक रंग भी देखने को मिल रहा है.

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