जानें कब और क्यों लगता है खरमास का महीना ?
खरमास का महीना हिन्दू धर्म में अशुभ माना जाता है, इस महीने में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने की मनाही रहती है. हालांकि, खरमास के दौरान पूजा- पाठ जारी रहता है. साथ ही बता दें कि, जब सूर्य मीन या धनु राशि में गोचर यानी प्रवेश करता है तो, इस राशि परिवर्तन के कारण ही खरमास की शुरूआत होती है यानी सूर्य के मीन राशि में गोचर करते ही खरमास का महीना शुरू हो जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे है कि, इस साल खरमास का महीना कब से शुरू होने जा रहा है, इस महीने के लगने के पीछे की कथा क्या है और इस दौरान कौन से काम रहते है वर्जित ?
कब से कब तक रहेगा खरमास का महीना ?
इस साल खरमास की शुरूआत 15 दिसंबर से होने जा रही है, जो कि, 14 जनवरी 2025 को खरमास खत्म होगा. पंचांग के अनुसार, 15 दिसंबर को धनु संक्रांति के दिन सूर्य 10 बजकर 19 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेगा. सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास शुरू होगा, जो 14 जनवरी तक चलेगा.
क्यों लगता है खरमास ?
खरमास से जुड़ी एक दिलचस्प कथा मार्कण्डेय पुराण में मिलती है, जो सूर्य देव और गधों से संबंधित है. “खर” शब्द का संस्कृत में अर्थ होता है गधा और इसी कारण इसे खरमास कहा जाता है, आइए जानते हैं इस कथा के बारे में…
कथा का प्रारंभ:
कहानी के अनुसार, एक बार सूर्य देव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे. इस दौरान घोड़ों को बहुत थकावट और भूख प्यास लगने लगी, और वे असहज महसूस करने लगे. सूर्य देव ने देखा कि, उनका रथ धीमा हो रहा है और घोड़े काफी थक गए हैं. सूर्य देव को उनके प्रति दया आ गई और उन्होंने सोचा कि क्यों न इन घोड़ों को थोड़ी देर आराम दिया जाए. लेकिन सूर्य देव को यह एहसास हुआ कि अगर रथ रुक जाएगा तो सृष्टि का चक्र प्रभावित होगा, जिससे सभी जीवों का जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है.
सूर्य देव ने सोचा कि घोड़ों को आराम देने के बजाय क्यों न गधों का सहारा लिया जाए. उनकी नजर तालाब के किनारे चर रहे दो गधों पर पड़ी. सूर्य देव ने तुरंत इन गधों को अपने रथ में बांध लिया और अपने घोड़ों को तालाब के पास आराम करने के लिए छोड़ दिया. अब गधे घोड़ों की तरह तेज गति से रथ की परिक्रमा नहीं कर सकते थे. इसके कारण सूर्य देव का रथ धीमी गति से चलने लगा और सूर्य देव का तेज भी कमजोर हो गया.
ऐसे बदली सूर्य की रफ्तार
यह वही समय था जब पृथ्वी पर सूर्य देव का तेज सामान्य दिनों के मुकाबले कम दिखने लगा. यही कारण है कि खरमास के दौरान सूर्य देव का तेज पूरी तरह से प्रकट नहीं होता है. जब मकर संक्रांति का समय आता है, तो सूर्य देव ने उन गधों को फिर से तालाब के किनारे छोड़ दिया और अपने घोड़ों को रथ में वापस बैठाया. इसके बाद सूर्य देव ने फिर से अपनी पुरानी रफ्तार पकड़ ली और उनका तेज पृथ्वी पर पुनः प्रकट हुआ. मकर संक्रांति के दिन ही मौसम में बदलाव आता है और सूर्य देव के तेज का प्रभाव पूरी तरह से वापस लौट आता है.
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खरमास में न करें ये काम
-सगाई नहीं करनी है
-नए उद्यम की शुरुआत नहीं करें
-गृह प्रवेश न करें
-मुंडन भी नहीं करवाएं
-नए वाहन न खरीदें