रेपोसे आर्ट वर्कशॉप का आज हुआ समापन, प्रतिभागियों को वितरित किए गए सर्टिफिकेट
वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय स्थित मूर्ति कला विभाग में 10 दिवसीय रेपोसे आर्ट वर्कशॉप का आयोजन किया गया, आज उसका समापन सत्र था. इस यह वर्कशॉप कला और शिल्प के क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है.
वर्कशॉप में प्रतिभागियों ने कला की मूल बातों का किया अध्धयन
वर्कशॉप में प्रतिभागियों को रेपोसे आर्ट की मूल बातें सिखाई गई हैं, जिसमें धातु को आकार देने और उसे सजाने की तकनीकें शामिल हैं. प्रतिभागी अपने हाथों से रेपोसे आर्ट के उत्कृष्ट शैली के नमूने बनाकर कला का प्रदर्शन किया है. प्रतिभागीगण इस इस महत्वपूर्ण वर्कशॉप में अपनी विविध रचनात्मकताओं और कल्पनाओं का प्रयोग किया है. रेपोसे आर्ट वर्कशॉप का आयोजन दृश्य कला संकाय के सहायक आचार्य डॉ. अमरेश कुमार के द्वारा किया गया. इस आयोजन के द्वारा लुप्तप्राय के कगार पर पहुंच चुकी इस विधा को संरक्षित करने का प्रयास किया गया है. इस विधा के अनुभवी कलाकार संजय कसेरा द्वारा प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करने तथा मार्गदर्शन करने का कार्य किया गया है.
यह वर्कशॉप कला और शिल्प के क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों के लिए रोमांचक और शिक्षाप्रद अनुभव प्राप्त करते हैं, मूलत: यह विद्या वाराणसी के कसेरा समुदाय द्वारा पीढ़ियों से बनारस की गलियों में की जा रही है. वर्तमान में इसे जी आई टैग भी प्राप्त हो चुका है. इस आर्ट को आप कई प्राचीन मंदिरों में यथा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के शिखर में जो स्वर्णाच्छादित किया गया है, वह इस विधा के द्वारा ही किया गया है, देखा जा सकता है. अतः यह विद्या अपने आप में महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
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रेपोसो आर्ट वर्कशॉप में इन लोगों ने लिया हिस्सा
रेपोसो आर्ट के वर्कशॉप में प्रतिभागियों द्वारा निर्मित कलाकृतियों का मूर्तिकला विभाग में प्रदर्शनी लगाई गई है. इस प्रदर्शनी का उद्घाटन तथा प्रतिभागियों के सर्टिफिकेट वितरण मुख्य अतिथि सह संकाय प्रमुख प्रोफेसर उत्तमा दीक्षित एवं विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर मंजुला चतुर्वेदी, भूतपूर्व विभागाध्यक्ष, ललित कला विभाग, काशी विद्यापीठ वाराणसी, द्वारा किया गया. इस अवसर पर मूर्तिकला विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रह्म स्वरूप, व्यवहारिक कला विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनीष अरोड़ा, मृगेंद्र प्रताप सिंह, डॉ महेश सिंह, डॉ आशीष गुप्ता, विजय भगत, साहिब राम टुडू, डॉ. मिथुन दत्त आदि उपस्थित रहे .