फिल्म को क्यों और कैसे किया जाता है टैक्स फ्री ? जानें सब कुछ…

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हाल ही में गुजरात के गोधरा कांड पर बनी विक्रांत मैसी की फिल्म ”द साबरमती रिपोर्ट” चर्चा का विषय बनी हुई है. जहां एक तरफ इस फिल्म की रिलीज से पहले प्रोपोगेंडा फिल्म कहकर विवाद खड़ा किया जा रहा था, वहीं रिलीज के बाद इस फिल्म की न सिर्फ तारीफ हो रही है बल्कि सरकार की तरफ से इसे काफी सपोर्ट भी मिल रहा है. एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने जहां इस फिल्म की तारीफ की तो वहीं मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने इस फिल्म को टैक्स फ्री करने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं किन फिल्मों को और क्यों टैक्स फ्री किया जाता है ? इसकी शुरूआत कब से हुई. वो कौन सी पहली फिल्म थी जिसे टैक्स फ्री किया गया था और टैक्स फ्री के क्या होते हैं नियम ?

किन फिल्मों को किया जाता है टैक्स फ्री और क्यों ?

इस सवाल का जवाब खोजने से पहले जरूरी है कि हम यह जान लें कि आखिर टैक्स फ्री होता है क्या है ? टैक्स फ्री का मतलब होता है कि सरकार टैक्स फ्री फिल्म पर किसी प्रकार का राज्य कर (जैसे GST, मनोरंजन कर, आदि) उसके टिकट पर लागू नहीं करती है. यह फिल्म को दर्शकों तक अधिक आसानी से पहुंचाने का एक तरीका है, ताकि इसका संदेश व्यापक रूप से समाज में फैल सके. टैक्स फ्री फिल्में आमतौर पर उन फिल्मों को घोषित किया जाता हैं, जो समाज के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित होते हैं या जिनका उद्देश्य सामाजिक जागरूकता बढ़ाना, शिक्षा देना और राष्ट्रीय भावना को प्रोत्साहित करना होता है.

सरकार द्वारा टैक्स फ्री फिल्मों की अवधारणा का उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाना और सकारात्मक बदलाव लाना है. सरकार उन फिल्मों को टैक्स फ्री करती है जो समाज के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित होती हैं और जिनका उद्देश्य शिक्षा, सशक्तिकरण, और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना है. इस प्रकार टैक्स फ्री फिल्मों का लक्ष्य सिर्फ फिल्म के व्यावसायिक लाभ को बढ़ाना नहीं होता, बल्कि यह समाज में एक सार्थक और सकारात्मक बदलाव लाने का एक माध्यम बनता है.

कब से हुई टैक्स फ्री की शुरूआत और कौन थी पहली टैक्स फ्री फिल्म ?

फिल्मों के टैक्स फ्री होने का दौर आज का नहीं है बल्कि यह 60 के दशक से चला आ रहा है. सबसे पहले 1982 में गांधी फिल्म को टैक्स फ्री किया गया था. इस फिल्म को इंदिरा सरकार द्वारा टैक्स फ्री किया गया था. इसके बाद कई सारी फिल्मों को टैक्स फ्री किया गय़ा था. वहीं 90 के दशक में ये टैक्स फ्री सिस्टम थोड़ा धीमा हो गया था. 2000 से टैक्स फ्री फिल्मों ने फिर रफ्तार पकड़ी और बिजली चोरी पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘कटियाबाज’ से लेकर लागा चुनरी में दाग, ‘तारे ज़मीन पर’, ‘रंग दे बसंती’, मैरी कॉम औऱ अब द साबरमती रिपोर्ट जैसी कितनी ही फिल्मों को टैक्स फ्री किया गया है.

टैक्स फ्री होने के बाद कितना सस्ता होता है टिक्ट

साल 2017 में जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आने के बाद फिल्म टैक्स का नियम बिल्कुल से बदल दिया गया है. इससे पहले फिल्मों पर कितना एंटरटेमेंट टैक्स लगाया जाएगा, इसका फैसला राज्य सरकार किया करती थी. वहीं जीएसटी आने के बाद से अब इसका अधिकार केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है. इसके चलते देश के हर हिस्से में फिल्म टिकट के दाम पर 28 फीसदी जीएसटी लगाई जाती है. इस 28 फीसदी कर को राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच में बांटा जाने लगा, लेकिन सरकार का यह नियम फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को नागवार गुजरा.

उन्होंने सरकार से इसे कम करने की गुजारिश की. इसके बाद साल 2018 में फिल्म टिकटों पर लगने वाले जीएसटी को दो स्लैब में बांट दिया गया. ऐसे में जिन थिएटर के टिकट की कीमत 100 रूपए से कम है उनपर 12 फीसदी जीएसटी और जिसकी कीमत 100 से ज्यादा है वहां पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया. ऐसे में राज्य सरकार द्वारा टैक्स फ्री किए जाने पर 100 रूपए तक के टिकट पर 6 प्रतिशत और 100 रूपए से ज्यादा की कीमत वाले टिकट पर 9 प्रतिशत की कमी आती है.

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जानें सबसे ज्यादा टैक्स फ्री करने वाला राज्य ?

आपको बता दें कि सबसे ज्यादा फिल्मों को टैक्सी फ्री करने का रिकॉर्ड यूपी को जाता है. साल 2012 से 2016 यानी चार साल में यूपी की अखिलेश सरकार ने सबसे ज्यादा फिल्मों को टैक्स फ्री करने का रिकॉर्ड बनाया था. इस दौरान सीएम अखिलेश यादव ने एक दो नहीं बल्कि चार सालों में कुल 30 फिल्मों को टैक्स फ्री करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था. इस दौरान पीके, डेढ़ इश्किया, साला खडूस, तेवर जैसी कई तमाम फिल्मों को टैक्स फ्री किया गया था.

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