आईआईटी (बीएचयू) जल और कचरा प्रबंधन का निकालेगा समाधान
वाराणसी : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी, बीएचयू) और प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (TIFAC) के तत्वाूवधान में जल और कचरा क्षेत्र के लिए दो दिवसीय “प्रौद्योगिकी प्राथमिकता कार्यशाला” 18-19 नवम्बर, 2024 का आयोजन किया गया. जिसका उद्देश्य भारत में जल और कचरा प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों के समाधान के लिए जलवायु-प्रतिरोधी प्रौद्योगिकियों की पहचान करना और प्राथमिकता देना है.
आईआईटी (BHU) के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने उद्घाटन सत्र में कहा, “यह कार्यशाला न केवल जल और कचरा प्रबंधन के लिए स्थायी समाधान खोजने में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह सुनिश्चित करने में भी सहायक होगी कि भारत जलवायु परिवर्तन के समाधान और अनुकूलन की वैश्विक कोशिशों में एक प्रमुख भूमिका निभाए.”
भारत के जल और कचरा प्रबंधन प्रणालियों पर सबसे बड़ा प्रभाव
TIFAC प्रौद्योगिकी प्राथमिकता कार्यशाला 2024 के नोडल परसन डॉ. एएस धोबले ने बताया कि इस कार्यक्रम में IIT कानपुर, IIT (ISM) धनबाद, MNNIT इलाहाबाद, लखनऊ विश्वविद्यालय, पटलिपुत्र विश्वविद्यालय, जय प्रकाश विश्वविद्यालय, और यॉर्क विश्वविद्यालय (कनाडा) जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ-साथ IIT (BHU) और BHU के स्थानीय विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया गया है. कार्यशाला का उद्देश्य जल और कचरा क्षेत्रों में उभरती हुई 20 से अधिक प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन करना है, जो भारत की जलवायु लचीलापन रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.
दो दिवसीय कार्यशाला में प्रयुक्त प्रमुख विधि “मल्टी-क्राइटेरिया डिसीजन एनालिसिस” (MCDA) तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा, जिसके माध्यम से विशेषज्ञ प्रत्येक प्रौद्योगिकी का मूल्यांकन पांच महत्वपूर्ण मानदंडों: सामाजिक, तकनीकी, पर्यावरणीय, आर्थिक और नीति के आधार पर करेंगे. प्रत्येक विशेषज्ञ इन प्रौद्योगिकियों को 1 से 10 के पैमाने पर अंकित करेंगे, और संकलित अंक सूची से सर्वोत्तम प्रौद्योगिकियों की पहचान की जाएगी. इस प्रक्रिया से निकलकर शीर्ष 10 प्रौद्योगिकियों का चयन किया जाएगा, जिनका भारत के जल और कचरा प्रबंधन प्रणालियों पर सबसे बड़ा प्रभाव हो सकता है.
कार्यशाला की सिफारिशें करेंगी प्रभावित
उन्होंने बताया की कार्यशाला में चयनित प्रौद्योगिकियां “प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं का मूल्यांकन” (TNA) रिपोर्ट का हिस्सा बनेंगी, जिसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEF&CC) संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) को प्रस्तुत किया जायेगा. कार्यशाला से प्राप्त सिफारिशें भारत में जलवायु-प्रतिरोधी प्रौद्योगिकियों के चयन और उपयोग को प्रभावित करेंगी, जो राष्ट्रीय नीति और कार्यान्वयन रणनीतियों को मार्गदर्शन प्रदान करेंगी.
कार्यशाला के परिणाम नीति-निर्माताओं, नवाचारकर्ताओं और उद्योग जगत के नेताओं के लिए महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करेंगे, जो जलवायु परिवर्तन और संसाधन प्रबंधन की दोहरी चुनौतियों का समाधान करने के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकियों का विकास और कार्यान्वयन कर रहे हैं. यह कार्यशाला जल और कचरा प्रबंधन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक अधिक स्थायी और लचीले भविष्य की ओर महत्वपूर्ण कदम साबित होगी.