”सुनामी रेडी” घोषित हुए ओडिशा के 24 गांव, जानें क्या है ये टैग और क्या होगा इससे फायदा ?

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ओडिशा राज्य के तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा हमेशा बना रहता है, खासकर सुनामी और चक्रवातों का. ऐसे में इस खतरे से निपटने के लिए यूनेस्को की ‘इंटर गवर्नमेंटल ओसीनोग्राफिक कमीशन’ ने बड़ा कदम उठाया है. इसके साथ ही ओडिसा के 24 तटीय गांवों को सुनामी रेडी का टैग दिया गया है. बता दें कि बीते 11 नवंबर को इंडोनेशिया में दूसरे ग्लोबल सुनामी सिम्पोसियम का आयोजन किया गया था, जिसमें यूनेस्को की तरफ से ओडिसा के 24 गांवों को सुनामी रेडी का प्रमाण पत्र दिया गया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस टैग का मतलब क्या है. इसे किस आधार पर दिया जाता है और इससे गांवों को क्या फायदा होगा ?

क्या होता है ”सुनामी रेडी” का टैग ?

आपको बता दें कि यूनेस्को का इंटर गवर्नमेंटल ओसीनोग्राफिक कमीशन (आईओसी) नामक एक संगठन है जो संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत समुद्री विज्ञान को लेकर काम करती है. इसकी स्थापना साल 1960 में की गई थी. उस समय इसकी स्थापना कार्यकारी स्वायत्त निकाय के तौर पर की गई थी. वहीं 26 सितंबर साल 2004 को सुनामी आने के बाद इंडियन ओसन सुनामी वार्निंग एंड मिटिगेशन सिस्टम यानी आईओटीडब्लूएमएस की स्थापना की थी. इसका उद्देश्य सुनामी ग्रसित इलाकों को इससे निपटने के लिए तैयार करना था, जिससे कि आपदा के दौरान होने वाले जन और आर्थिक नुकसान को कम किया जा सकें.

इसी के तहत ओडिशा के बालासोर, भद्रक, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, पुरी,गंजम, नोलियासाही और वेंकटरायपुर को सुनामी रेडी का टैग दिया गया है. हालांकि, नोलियासाही और वेंकटरायपुर को साल 2020 में ही सुनामी रेडी का टैग दिया गया था. साथ ही इस टैग को दिए जाने का अर्थ यह है कि ये गांव प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए तैयार हैं और इन गांवों में राहत और बचाव काम आसानी से किया जा सकता है.

किस आधार पर दिया जाता है ”सुनामी रेडी” का टैग ?

इन गांवों में सरकार ने सभी लोगों को आपातकालीन स्थिति की ट्रेनिंग दी है. गांवों में मॉक ड्रिल, सुनामी प्रबंधन योजना और जागरुकता अभियान चलाने के साथ ही बचाव मार्गों की खोज भी हुई है. नेशनल सुनामी रेडी रिकॉगनिशन बोर्ड (NTRRB) ने इन तटीय गांवों का दौरा कर 12 संकेतकों की जांच की, जो किसी भी गांव को सुनामी रेडी घोषित करते हैं. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और नेशनल सेंटर फॉर ओसीन इन्फोर्मेशन के वैज्ञानिक नेशनल सुनामी रेडी रिकॉगनिशन बोर्ड में शामिल रहे.

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सुनामी रेडी से गांवों को क्या होगा फायदा ?

दरअसल, भारत सरकार ने सुनामी प्रभावित 381 तटीय गांवों को घोषित किया है, इसलिए इन गांवों को सुनामी से बचने के लिए तैयार किया जा रहा है. सुनामी रेडी घोषित होने से पहले सरकार इन गांवों में कई प्रबंध करती है. इसके तहत सभी प्रभावित पक्षों को आपातकालीन स्थिति की ट्रेनिंग दी जाती है. गांवों में भी जागरूकता अभियान चलाया जाता है. सुनामी प्रबंधन योजना और मॉक ड्रिल भी होते हैं, बचाव के उपायों का पता लगाया जाता है.

इस तैयारी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि, सुनामी के जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को समय पर सटीक चेतावनी दी जाएगी, जिससे वे जीवन बचाने के उपायों को अपना सकेंगे. इससे बचाव और राहत कार्य जल्दी हो सकता है जिससे नुकसान भी कम होता है. वैज्ञानिकों और आपातकालीन प्रबंधन अधिकारियों ने इसके लिए बेहतर सेंसर, सटीक मॉडल और समवर्ती प्रसार का उपयोग किया है.

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