अधिकारियों ने किया संसदीय परंपराओं का घोर उल्लंघन एवं अपमानः सपा सांसद
वाराणसीः चंदौली से सपा सांसद ने वीरेद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि बनारस के अधिकारियों ने संसदीय परंपराओं का घोर उल्लंघन एवं अपमान किया है. इसकी जानकारी उन्होंने पत्र के माध्यम से लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, मंडलायुक्त वाराणसी समेत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक को ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा है. यदि इन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती तो संसद सत्र में वह इस तथ्य को उठाने का काम करेंगे.
पत्रकार वार्ता में दी ये जानकारी
चंदौली से समाजवादी पार्टी के सांसद वीरेंद्र सिंह आज अर्दली बाजार स्थित अपने कैंप कार्यालय में आयोजित पत्रकारवार्ता में पत्रकारों से रूबरू थे. उन्होंने जानकारी दी कि 12 नवंबर को वाराणसी सर्किट हाउस स्थित सभागार में जिला इलेक्ट्रिसिटी कमेटी की बैठक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के साथ निर्धारित समय पर संपन्न हुई. मीटिंग संपन्न होने के बाद भी अलग-अलग जनप्रतिनिधियों का सुझाव लिया गया. साथ ही इन सुझावों को मीटिंग का अंश बना गया जो मीटिंग एवं संसदीय परंपराओं का घोर उल्लंघन एवं अपमान है.
संसदीय परंपरा में विपक्ष और पक्ष को बांटना चिंताजनक
सांसद ने कहा कि दलवार मीटिंग का आयोजन करना एक तरीके से संसदीय परंपरा में विपक्ष और पक्ष को बांटना बहुत ही चिंताजनक है. इसके अलावा यह एक चुने हुए सांसद की अवहेलना का भी प्रश्न है. उन्होंने बताया केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा के लिए दिशा कमेटी की तरह जिला इलेक्ट्रिसिटी का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया गया है.
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इसमें उस जिले के वरिष्ठ सांसद अध्यक्ष होंगे और वाइस चेयरमैन जिले से संबंधित सांसद होगा. दूसरी ओर बनारस के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, अतः उनकी अनुपस्थिति में उस कमेटी की अध्यक्षता का अधिकार मुझे है. अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कल सुबह 11:00 बजे मीटिंग प्रारंभ हुई जिसमें जिला प्रशासन व बिजली विभाग के अधिकारियों के अलावा अन्य जन प्रतिनिधियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे. इसमें बिजली संबंधित आमजन की समस्याओं को अधिकारियों से साझा कर उसे दुरुस्त करने का प्रस्ताव मीटिंग में पारित किया गया. किंतु मीटिंग समाप्ति के बाद भी अधिकारियों द्वारा किसी दल के नुमाइंदे की तरह अलग से अपने सुझावों को मीटिंग का अंश बनाया गया जो संसदीय परंपराओं का उल्लंघन है.