देवउठनी एकादशी का पारण आज, जानें किस चीज का करें सेवन ?

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हिन्दू धर्म देवउठनी एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है, यह दिन है जब भगवान विष्णु और सभी देवता चातुर्मास के बाद जागते हैं. इस दिन से शादी-ब्याह जैसे सभी शुभ कार्य भी शुरू होते हैं. जिन लोगों ने कल देवउठनी एकादशी का व्रत रखा था, आज उसका पारण करेंगे. ऐसे में आइए जानें इस व्रत की पारण की विधि और पारण का समय. इसके साथ ही हम भी देवउठनी एकादशी व्रत के पारण के नियम बताएंगे…

पारण का समय

आज इस व्रत पारण होगा, द्वादशी तिथि को व्रत का पारण सुबह 6 बजे 42 मिनट से 8 बजे 51 मिनट तक होगा. एकादशी व्रत का पारण हमेशा अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद किया जाता है. साथ ही बता दें कि, देवउठनी पारण द्वादशी तिथि से पहले करना चाहिए. अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही खत्म हो जाए तो पारण सूर्योदय के बाद किया जाता है.

जानें क्या है पारण विधि ?

इस व्रत के दूसरे दिन सूर्योदय के समय स्नान करके भगवान सूर्य को अर्घ्य दें, फिर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इसको लेकर पद्म पुराण में बताया गया है कि, पंचामृत से भगवान विष्णु की प्रतिमा को अभिषेक करने के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए. यह पंचामृत दूध, दही, मधु और शक्कर से बना है. इसके बाद दीपक जलाकर भगवान को तुलसी चढ़ाएं और इस दौरान‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’मंत्र का जाप करें. पारण के दिन सात्विक भोजन करें, जिसमें खीर, फल और घी शामिल होना चाहिए. पारण करने से पहले भगवान विष्णु को भोग लगाना नहीं भूलना चाहिए, भोग का प्रसाद सबसे पहले बांटें और फिर उसे खुद भी लें. पारण के बाद गरीब लोगों को दान देना शुभ है, मान्यता है कि पारण करने से ही व्रत का पूरा लाभ मिलता है.

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पारण के नियम

-देवउठनी एकादशी के व्रत का पारण करने के लिए सबसे पहले आंवला और तुलसी खाना चाहिए.
-द्वादशी को देवउठनी एकादशी के व्रत के पारण में चावल खाकर भोजन करें.
-देवउठनी एकादशी के व्रत के पारण में भूलकर भी साग, हरा साग, मूली और बैंगन नहीं खाना चाहिए.
-अगर आप ब्राह्मणों को भोजन दे रहे हैं तो आप उन्हें भोजन भी दे सकते हैं, लेकिन अगर वे भी व्रत पर थे, तो उन्हें मूली, बैंगन और साग भी नहीं देना चाहिए था.

 

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