वाराणसी- कुंवारी लड़कियों को बताया गर्भवती, मांगा स्पष्टीकरण …
वाराणसी में अजब – गजब खेल चल रहा है. ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया है जिसमें कुंवारी लड़कियों को गर्भवती बता दिया गया. इस मामले की विभागीय जांच शुरू हो गई है. इस संबंध में विभाग ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. वहीं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने एक सादे कागज पर इस्तीफा लिखकर जिला कार्यक्रम अधिकारी को सौंप दिया और कारण बताया कि वह ग्रामीणों के उत्पीड़न से परेशान है और काम नहीं कर सकती है.
विभाग ने शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि पोर्टल पर फीडिंग के दौरान गड़बड़ी के चलते लड़कियों का डेटा फीड हो गया था, जिसे अब हटवा दिया गया है. यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है.
गर्भवती पोषण ट्रैक पर किया नाम दर्ज
दरअसल, काशी विद्यापीठ ब्ला क के ग्राम पंचायत रमना के मलहिया गांव की लड़कियों ने इस मामले की शिकायत की थी. शिकायत के आधार पर विभाग ने बाल विकास परियोजना अधिकारी काशी विद्यापीठ से मामले की जांच कराई तो आरोप सही मिले. जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमनलता को नोटिस जारी जवाब मांगा. जांच अधिकारी ने 18 लड़कियों का बयान लिया. सभी ने बताया कि उनका आधार कार्ड वोटर आईडी से लिंक करने के लिए मांगा गया था. लेकिन, गर्भवती पोषण ट्रैकर पर उनका नाम दर्ज कर दिया गया.
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को नोटिस जारी कर कहा कि स्पष्टीकरण दें. संतोषजनक जवाब न मिलने पर आपकी मानदेय सेवा समाप्त कर दी जाएगी. नोटिस मिलने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमनलता ने गुरुवार को जिला कार्यक्रम अधिकारी को अपना इस्तीफा भेज दिया.
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने भेजा इस्तीफा
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमनलता ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को जो इस्तीफा भेजा है, उसमें लिखा है कि मैं गांववालों के उत्पीड़न की वजह से मानसिक अवसाद में हूं. खुद की और परिवार की इज्जत खराब होने की वजह से इन गांववालों के साथ काम करने में असमर्थ हूं. विभाग ने जांच कर डीएम को रिपोर्ट भेजी है. इसमें ग्राम प्रधान की ओर से छह माह से राशन घोटाला करने के प्रकरण की जांच भी की गई. जिला कार्यक्रम अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार पोषण ट्रैकर के सितंबर माह की जांच के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का एक साल का रजिस्टर जांचा गया तो इन लड़कियों का नाम उसमें नहीं पाया गया. ऐसे में साफ हो गया कि इन लड़कियों के नाम से कोई पोषाहार विभाग की ओर से नहीं निकाला गया।
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जांच में आरोप सही निकले…
18 लड़कियों के बयान लिए गए तो स्पष्ट हुआ कि उनके आरोप सही थे. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने सत्यापन के लिए उनसे आधार कार्ड लिया और उनका नाम गर्भधात्री के रूप में दर्ज कर दिया. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से स्पष्टीकरण मांगा गया तो उन्होंने अपना इस्तीफा भेजा है. उनके मुताबिक बच्चों से मदद लेकर वह पोर्टल पर नाम फीड करती थीं. गलती से लड़कियों के नाम गर्भधात्री के रूप में दर्ज हो गए हैं. जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि जांच में राशन घोटाले के आरोप सही नहीं पाए गए.