सुख – समृद्धि का वरदान देकर विदा हुई छठी मईया….
चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ आज उषा अर्घ्य देने के साथ ही समाप्त हो गया. इसके साथ ही अपने भक्तों को बेहतर स्वास्थ, दीर्घायु और सुख – समृद्धि का वरदान प्रदान कर छठी मईया विदा हो गई. छठ के अंतिम दिन घाटों पर तड़के सुबह से ही भक्तों संग व्रती महिलाओं की भारी भीड़ जुटना शुरू हो गई थी. सूर्य के उगते ही सभी व्रती महिलाएं अर्घ्य देने के लिए तैयार हो गईं.
बताते हैं कुछ स्थानों पर व्रती महिलाएं आधी रात से आना शुरू हो गई थीं. ऐसे में आधी रात से ही छठ के घाट दीयों से रौशन हो गए थे हालांकि लगभग सभी स्थानों पर दीपावली जैसा माहौल श्रद्धालुओं संग आयोजकों ने बना रखे थें. इसके साथ ही उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर 36 घंटे का छठ का निर्जला उपवास समापन हो गया. वहीं इससे पहले कल शाम को छठ व्रतियों ने संध्या अर्घ्य दिया था.
रात तीन बजे से घाटों पर जुटने लगी थी भीड़
गंगा घाटों के अलावा शहर कई तालाबों में रात 3 बजे से ही लोगों का पहुंचना शुरू हो गया था. इसके साथ ही भक्तों ने छठ घाटों पर प्रसाद के सूप और डालों को सजाकर रख दिया. छठ व्रत करने वाले लोग पानी में उतर कर भगवान भास्कर की उगने का इंतजार करते और सूर्य की पूजा करते नजर आएं. तालाबों में भी बहुत लोग पूजा करते हुए देखा गया. उस समय, छठ घाटों पर पूजा समितियों ने बेहतर ढंग से छठ घाटों को सजाया था.
रंगीन बल्बों और झालरों से सजाए गए छठ घाट आकर्षित बनाने का प्रयास किया गया था. इस व्रत के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत में पारण करने का विधान होता है. चार दिनों तक चलने वाले यह पूजा तप और व्रत के माध्यम से हर साधक अपने घर – परिवार और विशेष रूप से अपनी संतानों की मंगलकामना करता है. साथ ही सूर्य को अर्घ्य देने बाद घाट पर उपस्थित लोगों को व्रती महिलाओं ने ठेकुआ का प्रसाद दिया है.
सूर्योदय पर अर्घ्य देने का क्या महत्व
उगते सूर्य को अर्घ्य देना या दर्शन करना वैसे ही सनातन धर्म काफी अच्छा माना जाता है, लेकिन छठ पूजा में उगते सूर्य को अर्घ्य देने का अपना ही अलग महत्व बताया गया है. कहते है कि, सूर्य को जीवन का कारक माना जाता है और वह सौरमंडल का केंद्र है. साथ ही सभी ग्रहों को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करने वाला है. ऐसे में भक्तजन छठ पूजा में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर उसे आशीर्वाद लेते हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं. माना जाता है कि सूर्य देव की पूजा करने से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता हैं और संतानों को लंबी आयु व स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है.
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आस्था ही नहीं एकता का संदेश देता है छठ पर्व
छठ महापर्व का समापन होते ही लोग एक-दूसरे से शुभकामनाएं देते हुए अगले वर्ष फिर से इस पर्व को मनाने की कामना कर रहे थे. इस पर्व ने यह संदेश दिया कि छठ पूजा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि यह समाज को जोड़ने और एकजुट करने का अवसर भी है. अंततः, उषा अर्घ्य के साथ छठ महापर्व का समापन हुआ और इसके साथ ही श्रद्धालुओं ने अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए छठी मैया और सूर्य देवता से आशीर्वाद लिया. अगले साल फिर इस पर्व की पुनरावृत्ति होगी, जब लाखों लोग इस महापर्व को पुनः श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाएंगे.