ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत को क्या होगा फायदा ?…

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नई दिल्ली: अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप में कमला हैरिस पर जीत हासिल कर ली है. लेकिन अभी भी मतदान की गिनती जारी है. दोनों के बीच कड़ा मुकाबला देखा गया है. अब डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की आधिकारिक पुष्टि भी हो गई है. कहा जा रहा है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत पर असर पड़ना तय है. इस मौके पर JOURNALIST कैफ़े से बातचीत की वरिष्ठ राजनितिक अरविन्द जयतिलक ने और बताया भारत अमेरिका के संबंध के बारे में…

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मोदी को बताया था दोस्त…

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और उस के बीच संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई है. इतना ही नहीं चुनाव से पहले ट्रंप ने दिवाली के मौके पर सोशल मीडिया साइट X पर पोस्ट करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया था. साथ ही अपनी सरकार आने पर दोनों देशों के बीच की साझेदारी को और आगे बढ़ाने का वादा किया है.

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुई हिंसा की निंदा…

बता दें कि, बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंदुओं और अन्न अल्पसंख्यकों पर हुई हिंसा कोई लेकर ट्रंप ने कड़ी निंदा की थी. बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद कई सारी ऐसी चर्चाएं आ चुकी है, जिसमें यह साफ़ है कि यहां पर कई हिंदुओं पर जानलेवा हमला हुआ है.

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एक जैसी है मोदी और ट्रंप की केमेस्ट्री…

बता दें कि एक समय था जब ट्रंप और मोदी के केमेस्ट्री की खूब चर्चा में रही है. दोनों नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध की बानगी कई हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों में दिख चुकी है. 2019 में टेक्सास में “हाउडी, मोदी !” रैली में यह नजर आया था, जहां ट्रंप ने मोदी की मेजबानी की थी. इतना ही नहीं यह किसी विदेशी नेता के लिए अमेरिका में बड़ी सभाओं में एक थी.

भारत में हुआ था ट्रंप का स्वागत…

इतना ही नहीं वहीँ, भारत आने पर ट्रंप का स्वागत दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम में किया गया था. इस दौरान लाखों लोग उनके स्वागत के लिए मौजूद थे. दोनों नेताओं के बीच राष्ट्रवादी विचार भी तकरीबन एक जैसे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘इंडिया फ़र्स्ट’ विजन और डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति काफी मिलते-जुलते हैं.

PM Modi welcomes US President Trump in Ahmedabad, Gujarat - YouTube

भारत व्यापार बाधाओं को कम करने का डालेगा दबाव

गौरतलब है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद, प्रशासन साफतौर पर अमेरिका केंद्रित ट्रेड पॉलिसीज पर ही जोर देगा. साथ ही भारत पर व्यापार बाधाओं को कम करने और टैरिफ को कम करने का दबाव डालेगा. अगर ऐसा होता है तो भारत का आईटी, फ़ार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल क्षेत्र का निर्यात बड़े स्तर पर प्रभावित हो सकता है.

ट्रंप ने भारत को कहा था एब्यूजर ( दोहन )…

इसी साल सितम्बर में पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने आयात शुल्क के मामले में भारत को दोहन करने वाले की संज्ञा दी थी. वहीं, इसके बावजूद उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें शानदार व्यक्ति बताया था. ट्रंप ने एक कार्यक्रम में चर्चा के दौरान कहा था कि भारत बहुत बड़ा एब्यूजर है. ये लोग सबसे चतुर लोग हैं. वे पिछड़े नहीं हैं. भारत आयात के मामले पर शीर्ष पर है, जिसका इस्तेमाल वह हमारे खिलाफ करता है.

भारतीय प्रोडक्ट्स के लिए अमेरिका बहुत बड़ा बाजार

गौरतलब है कि अगर अमेरिका की बात करें तो अमेरिका भारत के लिए बहुत बड़ा बाजार है क्योंकि भारत सबसे ज्यादा निर्यात अमेरिका में करता है. पिछले साल की बात करें तो भारत ने अमेरिका से आयात 42.2 बिलियन डॉलर किया है जबकि भारत ने अमेरिका में निर्यात 77.52 बिलियन डॉलर किया है. ट्रंप ने कहा था कि अगर उनकी सरकार आती है तो इस स्थिति को बदलेंगे और भारत पर टैरिफ शुल्क कम करने को लेकर भी दबाव बनाएंगे.

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सीमा रक्षा और सुरक्षा…

कहा जा रहा है कि चीन के साथ सीमा सुरक्षा को लेकर जो भारत का रुख है वही रुख चीन को लेकर ट्रंप का भी है. कहा जा रहा है कि ट्रंप के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग और बेहतर और मजबूत होने की संभावनाएं हैं. बताया जा रहा है कि पिछली बार ट्रंप के कार्यकाल में हीइंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सुरक्षा साझेदारी क्वाड को मजबूत किया गया था.

वीजा पॉलिसीस पर हो सकता है प्रभाव…

इतना ही नहीं डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिबंधात्मक नीतियों, विशेष रूप से H-1B वीजा प्रोगाम ने अमेरिका में भारतीय प्रोफेशनल्स पर काफी ज्यादा प्रभाव डाला है. इससे अमेरिका में एक बार फिर भारतियों को नौकरी पाना थोड़ा कठिन हो जाएगा. कहा जा रहा है कि जो क्षेत्र ज्यादा भारतियों के श्रमिक पर निर्भर है उनपर प्रभाव पड़ सकता है.

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जियो पॉलिटिकल प्रभाव…

कहा जा रहा है कि साउथ एशिया में ट्रंप की नीतियां भारत को प्रभावित कर सकती है. इतना ही नहीं हाल में ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर जोर दिया था. हालांकि ट्रंप की ताकत के जरिए अमेरिका आतंकवाद और उग्रवाद पर कड़ा रुख अपना सकता है.

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