बिहार की ”स्वर कोकिला” शारदा सिन्हा का निधन..
एम्स अधिकारियों ने की निधन की पुष्टि...
बिहार की ”स्वर कोकिला” के नाम से मशहूर लोक गायिका शारदा सिंहा का कल रात निधन हो गया . बीते मंगलवार को देर शाम दिल्ली के एम्स अस्पताल में 72 वर्षीय शारदा सिन्हा ने आखिरी सांस ली और दुनिया को अलविदा कह दिया. बताया जा रहा है कि वे बीते कुछ समय से बीमार चल रही थीं और उनका उपचार एम्स में चल रहा था. लेकिन सोमवार की शाम उनकी तबीयत अचानक से बिगड़ी जिसके बाद उन्हें एम्स लाया गया, उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. लेकिन उनकी हालत बिगड़ती ही जा रही थी. उन्हें विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में आईसीयू में रखा गया था. उनके स्वस्थ होने के लिए उनकी ससुराल में हवन भी कराया जा रहा था, लेकिन कल रात दवा और दुआ दोनों ही बेअसर हो गयी.
स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के निधन के बाद दिल्ली एम्स प्रबंधन की तरह से उनके निधन की जानकारी दी गयी, जिसमें बताया गया है कि, सेप्टिसीमिया के चलते रिफैक्टरी शॉक की वजह से लोक गायिका का निधन हो गया है. इस खबर के सामने आते ही संगीत जगत से लेकर सोशल मीडिया तक शोक की लहर दौड़ गयी है, इसके साथ ही पीएम मोदी, अमित शाह, द्रौपदी मूर्मू समेत कई नेताओं ने संवेदना जाहिर की है.
मल्टीपल मायलोमा से ग्रसित थी गायिका
साल 2018 से शारदा सिन्हा मल्टीपल मायलोमा से ग्रसित थी, यह एक प्रकार का बोन मैरो कैंसर होता है. बीती 22 अक्टूबर को उन्होने तबीयत बिगड़ने पर एम्स में भर्ती कराया गया था. जिस दौरान उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. जिसकी जानकारी उनके बेटे अंशुमन सिंहा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से दी थी. इसके बाद पीएम मोदी ने उनके बेटे से फोन पर उनका हालचाल लिया था.
कौन हैं शारदा सिन्हा ?
1 अक्टूबर 1952 को हुलास, सुपौल में शारदा सिन्हा का जन्म हुआ था, उन्हें बचपन से ही संगीत का काफी शौक रहा था. गांव की एक साधारण से परिवार की बेटी ने कड़ी मेहनत और लगन से खेतो से लेकर मंचों तक सफर तय किया था. शारदा अपने लोक गीतों और खासकर छठ पूजा के गीतों के लिए जानी जाती थी, इतना ही नहीं इसके लिए उन्हें ‘पद्म श्री’ और ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था. उनका विवाह बेगूसराय जिले के सिहमा गांव में हुआ था, जहां पर उन्हें मैथिली लोकगीत सुनने का अवसर मिला. यहीं से उनका संगीत के प्रति प्रेम और गहरा हो गया और फिर शारदा ने मैथिली ही नहीं बल्कि भोजपुरी, मगही और हिन्दी के कई सारे गानों को अपनी आवाज दी.
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छठ गीतों से मिली पहचान
यदि पहचान की बात की जाए तो, शारदा को उनके छठ गीतों से काफी पहचान मिली थी. यही वजह थी कि वह गीतों से काफी जुड़ी रही थी. छठ के लिए उन्होंने ‘केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झुके झुके’ और ‘सुनअ छठी माई’ जैसे कई सारे सुप्रसिद्ध छठ गीत गाए . उनकी आवाज से इस महापर्व में चार चांद लग जाया करते हैं. यही नहीं शारदा ने हिन्दी फिल्म जगत में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा है. जिसमें मैने प्यार किया का ‘काहे तो से सजना’ और गैग्स ऑफ वासेपुर 2 में ”तार बिजली” और ”चारफुटिया छोकरे का कौन सी नगरिया” जैसे गीतों को आवाज दी है.
‘पद्म श्री’ और ‘पद्म भूषण’ सम्मानिक शारदा
साल 2016 में शारदा सिन्हा ने दो नए छठ गीत, ‘सुपावो ना मिले माई’ और ‘पहिले पहिल छठी मैया’ जारी किए थे. इन गीतों ने लोगों को छठ पूजा के महत्व से फिर से जोड़ने का काम किया था. संगीत क्षेत्र में उनके योगदान के लिए शारदा सिन्हा को 1991 में पद्म श्री और 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. शारदा सिन्हा ने अपनी गायकी के माध्यम से परंपरा को जीवंत रखते हुए आधुनिकता भी अपनाई है. वे अपने प्रशंसकों से जुड़ी रहती हैं और सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं. वे स्वस्थ जीवनशैली पर विश्वास रखती थीं और शाकाहारी थीं.
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शारदा सिन्हा को दी गयी ये उपाधि
शारदा सिन्हा को ‘बिहार कोकिला’ और ‘भोजपुरी कोकिला’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. पद्म श्री और पद्मविभूषण जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान उन्हें मिले हैं. उन्हें ‘भिखारी ठाकुर सम्मान’, ‘बिहार गौरव’, ‘बिहार रत्न’ और ‘मिथिला विभूति’ जैसे कई पुरस्कार प्राप्त दिए गए . इसके अलावा समस्तीपुर महिला कॉलेज में संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष शारदा सिन्हा ने सैकड़ों पारंपरिक भोजपुरी, बज्जिका, मगही और मैथिली गीतों को विवाह और छठ जैसे विशेष अवसरों पर गाया है. उनकी आवाज ने बिहार की विशाल सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने का काम किया है और आगें भी करती रहेंगी.