सबके थे एस. अतिबल- प्रो. हरिकेश सिंह

हिन्दी पत्रकारिता संस्थान, काशी विद्यापीठ में हुई 'एस. अतिबल का फोटो पत्रकारिता में योगदान' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी

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वाराणसी: महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में गुरुवार को ‘एस. अतिबल का फोटो पत्रकारिता में योगदान’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ. संगोष्ठी का शुभारम्भ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित करके हुआ. मुख्य अतिथि प्रो. हरिकेश सिंह, पूर्व कुलपति, जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय, छपरा, बिहार ने एस. अतिबल जी के कृतित्व पर प्रकाश डाला.

संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि- एस. अतिबल मानव चेतना के श्रेष्ठ पुरुष थे. मानवता के जितने अध्याय, व्यवहार उनके पास थे, वह किसी ग्रंथ में नहीं है. उन्होंने कहा कि अतिबल जी सबको जोड़े रहते थे. अतिबल जी धर्म, संप्रदाय, पंथ, जाति, ऊंच-नीच आदि के भेदभाव से परे थे. एस. अतिबल सबके थे. अतिबल जी ने सीखाया कैसे साधारण रहा जा सकता है. सद्व्यवहार व सच्चरित्रता उनकी पूंजी थी.

मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार योगेन्द्र नारायण शर्मा ने एस. अतिबल जी की जीवनी पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि एस. अतिबल अपनी रूचि एवं जिज्ञासा से काम करते थे. अतिबल से काशी की फोटो पत्रकारिता का नया अध्याय शुरू होता है. अतिबल के आज समाचार पत्र से जुड़ने के बाद पहली बार ताजा फोटो छपी थी. यहीं से समाचार पत्रों में ताजा फोटो छपनी शुरू हुई थी. उन्होंने कहा कि अतिबल ने हमेशा समाचार पत्र या खुद के लिए फोटोग्राफी की, कभी व्यवसायिक (शादी वगैराह में) फोटोग्राफी नहीं की.

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स्वागत भाषण देते हुए महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि एस. अतिबल जी फोटो पत्रकारिता को नया आयाम दिया. अतिबल जी एक पूर्ण पत्रकार थे, वह जितनी अच्छी फोटो लेते थे उतनी ही अच्छी उनकी लेखनी भी थी. उन्होंने अपनी फोटो और लेखनी से  हमेशा गरीब एवं वंचित लोगों की आवाज उठाई. कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी के प्रतिनिधि के रूप में कुलानुशासक प्रो. के.के. सिंह ने छात्रों से कहा कि अपने कर्तव्य एवं दायित्व को समझें. सही के लिए सवाल उठाना सीखें.

संगोष्ठी में काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष डॉ. अत्रि भारद्वाज, आईनेक्स्ट दैनिक जागरण के पूर्व संपादक विश्वनाथ गोकर्ण, वरिष्ठ पत्रकार के.डी.एन. राय, डॉ. अजय कृष्ण चतुर्वेदी, डॉ. एस.एस. गांगुली, ए.के. लारी, अजय राय आदि ने एस. अतिबल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला. साथ ही उनके साथ के अपने अनुभव को सांझा किया.

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बीज वक्तव्य अनिरुद्ध पांडेय ने दिया, संचालन शैलेश चौरसिया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह ने किया. इस अवसर पर डॉ. दयानन्द, डॉ. सन्तोष कुमार मिश्र, डॉ. जय प्रकाश श्रीवास्तव, डॉ. श्रीराम त्रिपाठी,  रामात्मा श्रीवास्तव, डॉ. देवाशीष वर्मा, डॉ. जिनेश कुमार, डॉ. शिव यादव, डॉ. एमडी जावेद, डॉ. चंद्रशील पांडेय, अरविन्द मिश्र, देवेन्द्र गिरि, रवि, किशन, अभिजीत, उज्ज्वल, सावन, संतोष, कौशिक, कोमल, निधि आदि उपस्थित रहे.

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