पिता की मौत के बाद न्याय के लिए दर-दर भटक रहा गोविंद, अभी भी खुला घूम रहे आरोपित

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वाराणसी: जंसा थानांतर्गत दशरथपुर के रहने वाले गोविंद कुमार न्याय की आस में अने छह साल के बेटे संग लगातार अधिकारियों समेत कलेक्ट्रेट का चक्कर लगा रहे हैं. इस दौरान वह हे मोदी जी, न्याय कब मिलेगा. हे योगी आदित्यनाथ जी, न्याय कब मिलेगा तथा हे एडीजी साहब न्याय कब मिलेगा लिखी तख्तियां अपने गले में टांगे पुलिस आफिस से लेकर जिला मुख्यालय का चक्कर लगा रहे है. लोग इनकी हालत देख तरह की चर्चा कर रहे हैं.

यह है मामला…

गोविंद कुमार के अनुसार उनकी जमीन पर कब्जा करने के प्रयास में उसके पट्टीदार और उनके साथियों ने 4 जुलाई 2024 को उनके घर पर हमला बोला था. जब उन्होंने और उनके पिता श्याम धनी ने इसका विरोध किया, तो उन पर बेरहमी से हमला किया गया. हमलावरों ने घर में लूटपाट करते हुए जान से मारने की धमकी भी दी. उस हमले में गंभीर रूप से घायल अपने पिता को लेकर वह थाने पहुंचा, लेकिन पुलिस ने शिकायत दर्ज करने की बजाय उसे अस्पताल जाने की सलाह दी.

भारी कर्ज लेकर कराया इलाजा लेकिन पिता ने तोड़ दिया दम

गोविंद ने बताया कि स्थानीय चिकित्सा केंद्र ने पिता की हालत गंभीर देखकर मण्डलीय चिकित्सालय रेफर कर दिया, जहां डॉक्टरों ने भी उनकी स्थिति गंभीर बताई और बीएचयू ट्रामा सेंटर जाने की सलाह दी. बीएचयू पहुंचने पर बेड न मिलने के कारण उसे अपने पिता को भोजूबीर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जहां उन्हें आईसीयू में रखा गया. भारी कर्ज लेकर इलाज कराने के बावजूद 7 जुलाई 2024 को श्याम धनी की मृत्यु हो गई.

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आरोपित दे रहे धमकियां

पिता के शव के साथ गोविंद पुनः जंसा थाने पहुंचा, जहां पुलिस ने मामूली धाराओं में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया. हालांकि, आरोप है कि अभी भी बाकी आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और गोविंद को मुकदमा वापस लेने और जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं.

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जब तक न्याय नहीं मिलेगा, हार नहीं मानूंगा

अब गोविंद न्याय की उम्मीद में अपने गले में तख्ती लटकाए, बेटे के साथ लगातार पुलिस अधिकारियों और न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं. इसी क्रम में गुरुवार को जिला मुख्यालय पर पहुंचने पर उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की . बताया कि वह अपना सब कामकाज छोड़कर प्रतिदिन पुलिस अधिकारियों से गुहार करने के अलावा न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं. जब तक न्याय नहीं मिलेगा, मैं हार नहीं मानूंगा.

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