फिर जहरीली हुई दिल्ली ही आबोहवा…

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ठंड की दस्तक के साथ ही दिलवालों की दिल्ली की आबोहवा एक बार फिर से खराब हो गयी है, ऐसे में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI खतरे के निशान के ऊपर चला गया है. दिल्ली के कुछ इलाके ऐसे हैं कि, जहां पर AQI 300 के पार पहुंच गया है. हालांकि, पिछले साल यह स्थित छह अक्टूबर 2023 को ही 200 के पार चला गया था, वही अबकी बार यह स्थिति 13 अक्टूबर को बनी है. इसके साथ ही दिल्ली में ग्रेप का पहला चरण लागू कर दिया गया है, जिसके साथ ही दिल्लीवासियों पर कुछ पाबंदियां लगाई गयी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि, आखिर ग्रैप होता क्या है, इसके कितने चरण होते हैं और किस चरण में कौन कौन सी पाबंदियां लगाई जाती हैं….

क्या होता है ग्रैप ?

किसी भी देश, शहर या राज्य में वायु प्रदूषण के कारकों पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप कहा जाता है. इसकी वायु गुणवत्ता के अनुसार, चार चरणों में विभाजित किया जाता है. जिसके चलते अलग – अलग पाबंदियां लगाई जाती है. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) द्वारा नापी की गयी 201 से 300 एक्यूआई में वायु खराब होने पर पहला चरण लागू किया जाता है, वहीं एक्यूआई 301 से 400 यानी हवा बहुत खराब होने पर दूसरा चरण लागू किया जाता है, इसके साथ ही वायु गुणवत्ता 401 से लेकर 450 होने पर तीसरा चरण और 451 से लेकर इसके ऊपर जाने पर चौथा चरण लागू किया जाता है. चौथे चरण के दौरान स्थित काफी गंभीर हो जाती है.

ग्रैप के किस चरण में कौन कौन सी पाबंदियां लगाई जाती है ?

शहर की वायु गुणवत्ता के ग्रैप को चार चरणों में विभाजित किया गया है, जिसके तहत विभिन्न तरीके की पाबंदियां लगाई जाती है. ऐसे में आइए जानते है कि, किस चरण में कौन सी पाबंदियां लगाई जाती है…

पहला चरण – एक्यूआई 201 से 300

इन दिनों दिल्ली की हवा की गुणवत्ता 201 से 300 के बीच मापी गयी है, जिसके चलते दिल्ली में ग्रैप का पहला चरण लागू कर दिया गया है. जिसके तहत खुले स्थानों पर कचरा जलाने और फेंकने पर प्रतिबंध लगाया गया है. नियमित कूड़ा उठाने के निर्देश हैं. सड़कों पर धूल उड़ने से रोकने के लिए हर कुछ दिन पानी छिड़काया जाता है. पीयूसी नियमों को सख्ती से लागू किया जाता है और डीजल जनरेटर सेट के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाती है. वाहनों से निकलने वाले धुएं को सख्ती से नियंत्रित किया जाता है.

दूसरा चरण – एक्यूआई 301 से 400

वही ग्रैप के दूसरे चरण में इंडस्ट्रीज पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है, साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले कई उद्योगों को बंद करवा दिया जाता है या उनकी गतिविधियों को नियंत्रित किया जाता है और सभी तरह का निर्माण कार्य पूरी तरह से रोक दिया जाता है. इसके साथ ही इस चरण में सरकारें निजी वाहनों के शहर में प्रवेश पर रोक लगा सकती है, साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढावा दिया जाता है. वही शहर के होटल और रेस्टोरेट पर रोक लगा दी जाती है इतना ही नहीं कोलले चलने वाले थर्मल पावर प्लांट तक के बंद कर दिए जाते है. बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिए स्कूल-कॉलेज तक बंद कर दिए जाते हैं. करने का आदेश भी प्रशासन की तरफ से दी जा सकती है.

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तीसरा चरण – एक्यूआई 401 से 450

ग्रैप का तीसरा चरण वायुगुणवत्ता की बहुत खराब होने पर लागू किया जाता है, इसके तहत निजी वाहनों पर प्रतिबंधित कर के केवल इमरजेंसी सेवाओं वाले वाहनों को चलाने की ही अनुमति दी जाती है. साथ ही सभी प्रकार की इंडस्ट्रीज पर रोक लगा दी जाती है. साथ ही निर्माण पर तो रोक होती है ही, वही इसका उल्लंघन करने वाले पर मोटा जुर्माना लगाया जाता है, बाकि, ग्रेप दो में लागू पाबंदियां भी आयद होती है.

चौथा चरण – एक्यूआई 450 के पार…

ग्रैप का चौथा चरण एक्यूआई अत्यधिक खराब होने पर लागू किया जाता है, इसके तहत केवल इमरजेंसी सेवाओं के इलेक्ट्रिक वाहनों को ही अनुमति है. साथ ही निर्माण, उद्योग, कोयला आदि पर पूर्ण प्रतिबंध जारी रहता है. स्कूल-कॉलेज बंद हो जाते हैं, साथ ही खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर भी रोक लगा दी जाती है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा भी सीमित हो जाती है, साथ ही ग्रेप 1, 2 और 3 के अतिरिक्त सभी प्रतिबंध लागू रहते हैं.

ऐसी नौबत से बचने के लिए करें ये काम

ये चारों चरणों की कल्पना मात्र से ही डर लग जाता है, ऐसे में यदि आप चाहते है कि, ऐसी स्थिति कभी न बने तो, इन पाबंदियों को सर्वकालिक रूप से लागू करना होगा साथ ही आम लोगों को जागरूक रहना होगा. जिसमें किसी भी हाल में समयावधि पूरी कर चुके वाहनों को चलने न दें और स्वच्छ ईंधन से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा दें. अवैध निर्माण और उद्योग हमेशा के लिए हमेशा के लिए बंद हो जाने चाहिए, वही हर दिन हर तरह का कूड़ा पूरी तरह से निस्तारित हो और जलने न पाए. साथ ही कोयला का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद होना चाहिए.

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प्रदूषण फैलाने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर भारी-भरकम जुर्माना ही नहीं, बल्कि उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई भी की जानी चाहिए. सरकार ही नहीं, आम लोग भी पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए. पेड़ लगाने के साथ पेड़ों को काटने से बचाने पर भी काम होना चाहिए. हर नई कॉलोनी में हरियाली का एक मानक बनाया जाए और पूरी तरह से पालन कराया जाए. प्रदूषण को खतरनाक स्थिति में पहुंचने से रोका जा सकता है.

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