नहीं पूरी हुई मांगें, तीसरे दिन भी आईएमएस बीएचयू के रजिडेंट की हड़ताल जारी

आईएमएस बीएचयू के रजिडेंट की हड़ताल लगातार जारी..

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज में महिला डाक्टर संग दरिंदगी के विरोध में चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल तीसरे दिन गुरुवार को भी जारी है. इस दौरान वे आईएमएस बिल्डिंग के समक्ष धरना दे रहे हैं. इस दौरान लोग डॉक्टर के पास अपना पर्चा जमा करके अपनी बारी का इंतजार करते रहे. सामान्य दिनों में जहां कंसल्टेंट के साथ रेजिडेंट भी मरीज को बैठकर देखते हैं वहीं हड़ताल की वजह से ओपीडी में रेजिडेंट की कुर्सी खाली रही और कंसलटेंट मरीजों को देख रहे हैं. उधर, हडताली रेजिडेंट्स का कहना है कि अब तक कई बार आईएमएस बीएचयू प्रशासन से सुरक्षा, संस्थागत एफआईआर करवाने की मांग करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जब तक मांगे पूरी नहीं होंगी, विरोध जारी रहेगा.

पूर्व की घटनाओं से भी नहीं चेत रहा प्रशासन

रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि सर सुंदरलाल चिकित्सालय के इमरजेंसी में पिछले दिनों हमारी बहन के साथ दुर्व्यिवहार किया गया और धमकी दी गई. जिसे हम लोगों ने लिखित रूप से शिकायत की, परंतु अभी उसे मामले में एफआईआर तक नहीं दर्ज हुई.रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि आए दिन हॉस्पिटल में हम लोगों के साथ मारपीट, गाली गलौज सहित अन्य घटनाएं होती हैं लेकिन किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाती. जब हम लोग धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होते हैं, तब कुछ उच्च अधिकारी हम लोगों के पास आते हैं और सिर्फ आश्वासन देकर धरना प्रदर्शन समाप्त करा देते हैं.

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रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि यह कोई पहली बार की घटना नहीं है. इससे पहले भी अनेकों बार हम लोगों के साथ इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं. हम लोग पिछले तीन दिनों से स्ट्राइक कर रहे हैं. इसके बावजूद अभी तक कोई भी जिम्मेदार अधिकारी हम लोगों से बात तक नहीं की.

मरीज और तीमारदार परेशान

वही सर सुंदरलाल चिकित्सालय में इलाज करने पहुंचे लोगों का कहना है कि डॉक्टरों की बातें जायज है परंतु इन लोगों को किसी के जान के साथ खिलवाड़ करने का कोई भी हक नहीं है.

पूरे पूर्वांचल से लोग इलाज करने को पहुंचते हैं लेकिन परंतु यहां पर आने के बाद उन्हें पता चलता है कि यहां पर रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं. जिससे गरीब तबके के मरीज और तीमारदार परेशान होते हैं.

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वहीं लोगों का कहना है कि अगर रेजिडेंट डॉक्टरों को अपना विरोध दर्ज करना ही है तो कई और भी विकल्प है. जैसे हाथ पर काली पट्टी बांधकर भी विरोध दर्ज कराया जा सकता है.

उन लोगों को सुरक्षा के मुद्दे पर अधिकारियों से मिलकर बातचीत करनी चाहिए. किसी को भी मरीज के जीवन के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार नहीं है. वहीं मरीज को समुचित इलाज नहीं मिलने के कारण लोग प्राइवेट हॉस्पिटलों की तरफ या अपने घर की तरफ रुख कर रहे हैं.

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