शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी क्यों रखी जाती है खीर, जानें कारण ?

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सनातन धर्म में हर तीज त्यौहार को कोई न कोई खास महत्व होता है, नवरात्रि उत्सव के बाद अब त्यौहार का सीजन शुरू हो गया है. ऐसे में दशहरे के बाद आज शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है. शरद पूर्णिमा का त्यौहार हर साल अश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर खाने का विशेष महत्व माना जाता है. लेकिन इस खीर को चंद्रमा की रोशनी रखने का धार्मिक कारण तो होता ही है बल्कि इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण भी होता है. आइए जानते है इसके पीछे का क्या है वैज्ञानिक कारण….

शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी पर क्यों रखते है खीर?

शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखने का कारण यह है कि, चांद पूरी रात अमृत की वर्षा करता है. इसलिए शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे खीर रखी जाती है. माना जाता है कि इस खीर को खाने से कई लाभ मिलते हैं.

चंद्रमा की रोशनी रखने के वैज्ञानिक कारण

रोग नाशक होती है

माना जाता है कि, शरद पूर्णिमा की रात आकाश से धरती पर अमृतमयी किरणें गिरती हैं. इन अमृत की किरणों में कई बीमारियाँ खत्म हो सकती हैं, इसलिए लोग शरद पूर्णिमा की रात छत पर खीर रखकर खाते हैं.

दूध बन जाता है अमृत

धार्मिक मान्यताओं ने दूध को चंद्रमा से जोड़ता है. माना जाता है कि, इस दिन चंद्रमा जाग जाता है और अमृत की तरह बन जाता है. चांद की रोशनी में रखी गई इस खीर को खाने से परिवार को खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. इसलिए दूध से खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखा जाता है.

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पौष्टिक तत्वों से भरपूर

शरद पूर्णिमा की रात बनाई जाने वाली खीर बहुत पौष्टिक है. इस खीर में मौजूद सामग्री से व्यक्ति की इम्यूनिटी मजबूत होती है, जो उसे रोगों से लड़ने की क्षमता देती है। जो व्यक्ति की सेहत को सुधारता है.

 

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