वाराणसीः दुर्गा पंडालों में हुआ सिंदूर खेला, सुहागिन महिलाओं ने माता को सिंदूर चढ़ाया

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वाराणसीः विजयादशमी को पंडालों में महिलाओं ने मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया. बंगीय समाज के पूजा पंडालों में मंगलवार को सिंदूर खेला का आयोजन किया गया. इसमें सोनारपुरा, दशाश्वमेध, शिवाला, पांडेय हवेली, बंगाली टोला, केदारघाट के अलावा बीएचयू व डीरेका के पंडालों में आयोजित सिंदूर खेला में सुहागिन महिलाओं ने माता को सिंदूर चढ़ाया. आज दूसरे दिन भी मां की मूर्ति का विसर्जन कुंडों और तालाबों में किया गया.

बंगाली समाज की महिलाओं ने खेली सिंदूर की होली

गौरतलब है कि उत्साह और उमंग के साथ नवरात्र का समापन हो गया है. नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना के बाद दशमी पर दशहरे के साथ इस पर्व का समापन होता है. विजयादशमी के एक दिन बाद बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर की होली खेली. भेलूपुर स्थित जिम स्पोर्टिंग क्लब के बंगाली दुर्गा स्थान में बंगाली समाज की महिलाओं ने एक दूसरे के साथ सिंदूर की होली खेली और मां दुर्गा से प्रार्थना किया कि अगले साल फिर इसी तरह आना और ये साल खुशी, तरक्की और शांति के साथ बीते. सिंदूर खेला बंगाली समाज की एक प्रमुख परंपरा है, जिसे हर साल धूमधाम से मनाया जाता है.

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विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्य लाता है यह रस्म

बंगाली समाज की महिलाओं ने बताया कि यह रस्म विवाहित महिलाओं के लिए है, जो पूरे रीति-रिवाज के साथ निभाई जाती है. दरअसल ऐसी मान्यता है कि यह रस्म विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्य लाता है. मां दुर्गा 10 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं. उनके स्वागत के लिए बड़े-बड़े पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है. दशमी के दिन मां मायके से विदा होती है. सिंदूर की होली खेल कर मां दुर्गा को विदा किया जाता है. इसलिए बंगाली समुदाय में इसे सिंदूर खेला के नाम से जानते हैं.

इसी कड़ी में लगभग 400 साल पुरानी परंपरा का बंगीय समाज ने निर्वहन किया. बंगाली समाज की महिलाओं ने मां को समर्पित होने वाले सिंदूर को अपनी मांग में भरकर एक दूसरे के गालों को सिंदूर से रंग दिया. विसर्जन से पहले पंडालों में सिंदूर खेला के दौरान पूरा माहौल सिंदूरमयी हो गया. मान्यता है कि ऐसा करने से पति की उम्र लंबी होती है. माता को मिठाई खिलाने के बाद नम आंखों से उनको विदाई दी गई.

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