बांग्लादेश के मंदिर से पीएम मोदी का अर्पित किया मुकुट चोरी, भारत उठाई जांच की मांग…
इस समय की बड़ी खबर सामने आ रही है, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के सतखीरा के श्यामनगर में देवी काली को जो मुकुट अर्पित किया था , वह चोरी हो गया है. मंदिर के पुजारी दिलीप मुखर्जी ने बताया कि दिन भर की पूजा करने के बाद वह दोपहर लगभग 2:00 बजे मंदिर से चले गए थे. मंदिर के कर्मचारी कुछ देर बाद परिसर की साफ-सफाई के लिए अंदर आए थे. कुछ देर बाद अंदर उन्होंने देखा कि देवी के सिर से मुकुट गायब है. आपको बता दें कि, साल 2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश की अपनी यात्रा के दौरान जेशोरेश्वरी मंदिर का दौरा किया था. उस दौरान यह मुकट उन्होंने काली माता को अर्पित किया था.
भारत ने उठाई मामले की जांच की मांग
वही मुकुट चोरी की खबर सामने आने के बाद भारतीय उच्चायोग ने एक बयान जारी किया है. इसमें उच्चायोग ने कहा है कि, ”भारत ने जेशोरेश्वरी काली मंदिर में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भेंट किए गए मुकुट की चोरी की जांच करने, उसे वापस पाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बांग्लादेश से गुजारिश की है.”
माता 52 शक्तिपीठों में से एक है यह मंदिर
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बांग्लादेश का यह मंदिर मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. बांग्लादेश यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से काली माता को यह मुकट अर्पित किया था. वहीं मामले की जांच कर रहे श्यामनगर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर तैजुल इस्लाम ने घटना की जानकारी दी. कहा कि, ”वे चोर की पहचान करने के लिए मंदिर के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं.” दूसरी ओर सदियों से मंदिर की देखभाल करने वाले परिवार के सदस्यों में से एक ज्योति चट्टोपाध्याय ने कहा है कि, ”मुकुट चांदी से बना था और उस पर सोने की परत चढ़ी हुई थी. पीएम मोदी ने उस मंदिर की अपनी यात्रा का एक वीडियो भी साझा किया था, जो COVID-19 महामारी के बाद किसी भी देश की उनकी पहली यात्रा थी.”
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12वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में बना है यह मंदिर
माना जाता है कि, मंदिर का निर्माण अनारी नामक एक ब्राह्मण ने 12वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में किया था. उन लोगों ने जशोरेश्वरी पीठ (मंदिर) के लिए 100 दरवाजों वाला मंदिर बनाया. 13वीं शताब्दी में लक्ष्मण सेन ने इसका जीर्णोद्धार किया और 16वीं शताब्दी में राजा प्रतापादित्य ने इसका पुनर्निर्माण किया. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ईश्वरीपुर मंदिर में 52 पीठों में से एक है, जहां देवी सती के हथेलियों और पैरों के तलवे गिर गए थे. वहां देवी जशोरेश्वरी भगवान शिव चंदा के रूप में रहती है.