भारत और मालदीव के बीच हुआ करेंसी स्वैप का समझौता, जानें क्या होगा फायदा…

40 करोड़ डॉलर यानि करीब 3 हजार करोड़ की करेंसी की अदला-बदली

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नई दिल्ली: पांच दिवसीय यात्रा पर भारत आए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सोमवार को पीएम मोदी से मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच कई अहम् समझौते हुए. दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्ते को लेकर 40 करोड़ डॉलर यानि करीब 3 हजार करोड़ की करेंसी की अदला-बदली यानी करेंसी स्वैप (Currency Swap) को लेकर महत्वपूर्ण करार किया गया.

आइये जानते हैं क्या है करेंसी स्वैप…

करेंसी स्वैप को अगर आसान भाषा में समझे तो यह है करेंसी / मुद्रा की अदला / बदली. इसमें दो देशों के बीच की मुद्रा को आसानी से बदल दिया जाता है ताकि ये अपनी अपनी वित्तीय जरूरतों को बिना किसी नुकसान के पूरा कर सके. करेंसी स्वैप करार के तहत एक दूसरे को विदेशी मुद्रा में कर्ज प्रदान करने के लिए सहमत होता है.

मालदीव को कर्ज देगा भारत…

कहा जा रहा है कि नई करेंसी स्वैप के तहत भारत मालदीव को विदेशी मुद्रा में कर्ज देगा, जो अमेरिकी डॉलर हो सकता है. बदले में मालदीव को तय ब्याज दर पर भारतीय रुपये में यह कर्ज का पैसा लौटाना होगा. करेंसी स्वैप करार के तहत एक दूसरे को विदेशी मुद्रा में कर्ज प्रदान करने के लिए सहमत होता है. रीपेमेंट एक निश्चित तिथि और विनिमय दर पर एक अलग मुद्रा में होता है. ऐसे कर्जों पर लगाई जाने वाली ब्याज दर आमतौर पर विदेशी बाजार में उपलब्ध ब्याज दर से कम होती है.

मालदीव के लिए फ़ायदेमंद साबित हुई यात्रा…

बता दें कि, आर्थिक संकट के जूझ रहे मालदीव के लिए यह यात्रा फ़ायदेमंद साबित हुई है. दोनों देशों के बीच कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. भारत ने अमेरिकी डॉलर/यूरो स्वैप विंडो के तहत 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक की करेंसी स्वैप (मुद्राओं की अदला-बदली) पर सहमति दी है.

आर्थिक संकट से जूझ रहा मालदीव …

कहा जा रहा है कि इस समझौते के बाद मालदीव के विदेशी मुद्रा भण्डार में बढ़ोत्तरी होगी क्योंकि एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मालदीव के पास मात्र डेढ़ महीने का विदेशी मुद्रा भंडार बचा हुआ है. अगर वह भारत के करेंसी स्वैप समझौता नहीं करता तो उस पर श्रीलंका की तरह आर्थिक संकट पैदा हो सकता था.

2018 में भारत – जापान के बीच समझौता

वर्ष 2018 भारत और जापान ने 75 अरब डॉलर के करेंसी स्वैप एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये हैं जिससे दोनों देशों की मुद्राओं में डॉलर के सापेक्ष उतार चढ़ाव को कम किया जा सके. इस समझौते में यह कहा गया था कि- भारत 75 अरब डॉलर तक का आयात जापान से कर सकता है और उसको भुगतान भारतीय रुपयों में करने की सुविधा होगी. ऐसी ही सुविधा जापान को होगी अर्थात जापान भी इतने मूल्य की वस्तुओं का आयात भारत से येन में भुगतान करके कर सकता है.

2021 में भी हुआ था समझौता…

बता दें कि इससे पहले आर्थिक संकट की मार झेल रहे श्रीलंका को चीन ने मदद की थी. भारत और मालदीव के करेंसी स्वैप की तरह ही साल 2021 में चीन और श्रीलंका के बीच मुद्राओं का अदला-बदली की गई थी. इसमें चीन ने श्रीलंका को 10 बिलियन युआन (1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का कर्ज़ दिया था.

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करेंसी स्वैप से अर्थव्यवस्था को ये होंगे लाभ…

1. मुद्रा भंडार में कमी रुकती है.
2. यह विनिमय दर में बदलाव होने से पैदा हुए रिस्क को कम करता है.
3. करेंसी स्वैप एग्रीमेंट से शेयर मार्केट और विदेशी विनिमय को स्थिरता मिलती है.
4. करेंसी स्वैप एग्रीमेंट के तहत संबंधित देश सस्ते ब्याज पर कर्ज ले सकता है.

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ईरान से समझौता करने की तैयारी में भारत…

इतना ही नहीं एक रिपोर्ट में यह कहा जा रहा है कि भारत अपनी जरूरत को देखते हुए ऐसे ही समझौते अन्य देशों के साथ करने की तैयारी कर रहा है. भारत, कच्चा तेल खरीदने के लिए ईरान के साथ ऐसा ही समझौता करने की प्रकिया में है. अगर भारत और ईरान के बीच यह समझौता हो जाता है तो भारत हर साल 8.5 अरब डॉलर बचा सकता है.

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