काशी के मदिरों से साईं मूर्ति हटाना गलत नहीं, बनवाएं अलग मंदिर – शंकराचार्य
शंकराचार्य ने काशी के सनातनी मन्दिरों से साईं की प्रतिमा को हटाने को शास्वसम्मत व सराहनीय कार्य बताया..
वाराणसी में मंदिरों से साईं मूर्ति हटाने से जुड़ा विवाद तेजी के साथ तूल पकड़ रहा है. जिसके अंतर्गत मूर्ति हटाने वाले सनातन रक्षक सेना के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा पर कार्रवाई भी की जा चुकी है, लेकिन अब काशी के संतों के द्वारा इसको लेकर चर्चाएं तेज हो रही है. जहां इस पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती का बयान भी सामने आया है. जिसके अंर्तगत शंकराचार्य ने काशी के सनातनी मन्दिरों से साईं की प्रतिमा को हटाने को शास्वसम्मत व सराहनीय कार्य बताया है. इसके साथ ही सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा की गिरफ्तारी पर रोष व्यक्त किया है.
शंकराचार्य ने अपने बयान में कहा है कि शास्त्र में जिसका उल्लेख नहीं वो अपूज्य है और हम सनातनधर्मियों के मन्दिरों में अपूज्य की पूजा कदापि नहीं हो सकती है. साई बाबा एक मुस्लिम फकीर थे. उनको हमारे मन्दिरों में प्रतिष्ठित करना अपराध है फिर भी अगर किसी को साई बाबा की पूजा करनी है तो उनका अलग मन्दिर बना लें हमें कोई आपत्ति नहीं है.
हिन्दुओं के देवताओं का स्थान साई को दिया जाना कत्तई स्वीकार नहीं – शंकराचार्य
उन्होंने कहा कि लेकिन चांद मियां साईं को हमारे शिवलिंग पर बैठा दिखाना, साईं के हाथ मे सुदर्शन चक्र थमाना, भगवान के विराट स्वरूप के मध्या साईं का चित्र बनाना, ओम नमः शिवाय की जगह ओम साईं नमः कहना, सीताराम की जगह साईं राम कहना, साई चालीसा और साईं गायत्री बनाना कत्तई स्वीकार नहीं है.
साई के बारे में सनातन धर्मशास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं
हमारे ब्रह्मलीन गुरुदेव ने पहले ही न्यायालय और हर जगह प्रमाण प्रस्तुत करवा दिया है और धनिर्णय भी दिया है अब बस क्रियान्वयन बाकी है. सनातनी मन्दिरों में पुजारियों व प्रबन्धकों की नासमझी, लापरवाही व शिथिलता से लोभ, भय और अन्यान्य कारणों से ऐसी मूर्तियां स्थापित कर दी गई जिनका सनातन धर्मशास्त्रों में न तो उल्लेख है, न तो कोई उनकी पूजा की विधि है और न ही सनातनधर्मियों को उनसे किसी भी प्रकार की प्रेरणा मिलती है.
इस तरह के सनातन धर्म विरोधी कार्य से अपने सनातन धर्म के मन्दिरों को मुक्त कराने के लिए, परिसर में पुनः पवित्र वातावरण बनाने के लिए जागरूकता कुछ लोगों में आई..
अलग मंदिर बनाकर कर सकते है पूजा
शंकराचार्य ने कहा कि अगर हम अपने मन्दिरों में कोई शुद्धि कर रहे हैं, परिष्कार कर रहे हैं तो उसमें लोगों को क्या आपत्ति हो सकती है, जो लोग ये कार्य कर रहे थे उन्होंने स्पष्टता के साथ कहा है कि अगर कोई किसी का भक्त है तो वो उनका अलग मन्दिर बनाए उसमें उसकी पूजा करें.