67 साल पहले आज के दिन हुआ था अंतरिक्ष युग का आरंभ….
67 साल पहले आज का ही वो दिन रहा, जब दुनिया में अंतरिक्ष युग का आरंभ हुआ था. साल 1957 के 4 अक्टूबर को दुनिया का पहला मानव निर्मित उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा गया था, जो कि हमारे मानव सभ्यता के किसी अहम क्रांति से कम नही था. यही वजह है कि, इस दिन से ही अंतरिक्ष के युग की शुरूआत मानते हैं. आपको बता दें कि, यह ऐतिहासिक कारनामा रूस द्वारा किया गया था. इसके बाद ही दुनिया के बाकी देशों में अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरना शुरू कर दिया. इस घटना के बाद अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध की बहस बढ़ गई, इससे पहले किसी ने कल्पना तक नहीं की थी कि कोई ऐसी चीज धरती से अंतरिक्ष में भेजी जा सकती है.
स्पुतनिक-1 से जाना गया दुनिया का पहला सैटेलाइट
दुनिया की पहली सैटेलाइट को सोवियत संघ ने ”स्पुतनिक-1” नाम दिया था, वहीं इसके प्रक्षेपण के बाद ही अंतरिक्ष जगत में अलग क्रांति देखने को मिली थी. बताते हैं कि, रूसी शब्द “साथी यात्री” के नाम पर इस सैटेलाइट का नाम स्पुतनिक-1 रखा गया था. कजाख गणराज्य के ट्यूरेटम प्रक्षेपण अड्डे से स्पुतनिक-1 को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए भेजा गया था. यह उपग्रह एक बीच बॉल के आकार था और 83.5 किलोग्राम वज़नी था. यह 98 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर चुका था.
जाने कैसा था पहला सैटेलाइट
स्पुतनिक-1 कजाखस्तान के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था, इसमें चार लंबे एंटीना थे. यह मात्र 58 सेंटीमीटर व्यास और 84.6 किलोग्राम वजन का था, लेकिन दुनिया को चौंका दिया. स्पुतनिक-1 का मूल लक्ष्य था पृथ्वी की कक्षा में एक आर्टिफिशियल सैटेलाइट बनाना और पृथ्वी के वायुमंडल के बारे में जानकारी जुटाना. इसमें तापमान, दबाव और अन्य मापदंड मापने के लिए कई उपकरण लगाए गए थे.
21 दिन बाद नष्ट हो गया था पहला सेटलाइट
स्पुतनिक-1 को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा गया था और 21 दिनों तक काम करता रहा था. यह रेडियो तरंगों के जरिए तीन सप्ताह तक वैज्ञानिकों को सूचना भेजता रहा. वहीं 26 अक्टूबर 1957 को इसकी बैटरी खत्म हो गई, जिससे इसने सिग्नल देना बंद कर दिया. यह एक धातु की गेंद की तरह दिखने वाला सैटेलाइट था जिसमें चार एंटीना थे. इसका व्यास 58 सेंटीमीटर और वज़न करीब 83.6 किलोग्राम था. 29,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से यह उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा करता था, यह हर घंटे और 36 मिनट में एक बार धरती को घूमता था.
सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद दूरबीन से दिखाई देने वाला स्पुतनिक 1 रेडियो सिग्नल वापस पृथ्वी पर भेजता था. अमेरिका में ऐसे उपकरणों तक पहुंच रखने वाले लोगों ने देखा और विस्मय में सुना क्योंकि, सोवियत अंतरिक्ष यान हर दिन अमेरिका के ऊपर से गुजरता था. जैसा कि अनुमानित था, जनवरी 1958 में स्पुतनिक की कक्षा खराब हो गई और अंतरिक्ष यान वायुमंडल में प्रवेश करते ही जल गया था.
1975 में भारत ने भेजा पहला सैटलाइट
स्पुतनिक-1 के लॉच होने के करीब 18 साल बाद भारत ने भी अपना पहला सैटलाइट लॉन्च किया था, इसके साथ ही भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह का नाम आर्यभट्ट दिया गया था. इस सैटेलाइट को साल 1975 के 19 अप्रैल को लॉन्च किया गया था. वही इसका निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा किया गया था. वही इसका नाम भारतीय गणितज्ञ और खगोलीशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था. वहीं अब तक भारत ने 100 से अधिक सैटेलाइट लॉन्च की है. जानकारी के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2023 तक लगभग 300 से अधिक सैटेलाइट लॉन्च किए हैं. इनमें से कई सैटेलाइट भारत के लिए हैं, जबकि कुछ अन्य देशों के लिए भी लॉन्च किए गए हैं.
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भारत के प्रमुख सैटेलाइट
INSAT श्रृंखला: भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली, जिसमें मौसम, संचार और खोज एवं बचाव जैसे कार्य शामिल हैं.
IRS श्रृंखला: भारतीय रिसोर्स सैटेलाइट, जो पृथ्वी के संसाधनों की निगरानी के लिए उपयोग होते हैं.
NavIC: भारत का क्षेत्रीय навगेशन उपग्रह प्रणाली.
GSAT श्रृंखला: संचार उपग्रहों की श्रृंखला.
Chandrayaan और Mangalyaan: चंद्रमा और मंगल के लिए मिशन, जिनमें कई उपग्रह शामिल हैं.
वहीं भारत ने साल 2017 में एक ही रॉकेट में 104 सैटेलाइट लॉन्च करने का विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है, यही वजह है कि, भारत का स्थान अंतरिक्ष क्षेत्र में मजबूत हुआ है, क्योंकि ISRO ने विदेशी ग्राहकों के लिए कई सैटेलाइट लॉन्च किए हैं. भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम तेजी से विकसित हो रहा है और आने वाले वर्षों में और भी सैटेलाइटों को बनाने का लक्ष्य है.