रामनगर की रामलीला: श्रीराम ने जयंत की आंख फोड़ी, राक्षस विराज मारा गया

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रामनगर की रामलीला:  प्रभु श्रीराम माता सीता को बनमाला का आभूषण पहनाते हैं. इसी दौरान इंद्र का पुत्र जयंत कौवे का वेष बनाकर उनके पास पहुंचता है और माता सीता के चरण में चोंच मारकर भाग जाता है. सीता के पैर से खून बहता देख राम ने सींक का एक बाण मारा. जयंत अपनी जान बचाने के लिए देवताओं की शरण में पहुंचा, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की. अंत में वह नारद की शरण में पहुंचा. उन्होंने उसको राम की शरण में जाकर क्षमा याचना करने को कहा.

रामनगर की रामलीला के 15वें दिन जयंत नेत्र भंग, अत्रि मुनि मिलन, विराध वध, इंद्रदर्शन शरभंग, सुतीक्ष्ण, अगस्त, गिद्धराज समागम, पंचवटी में निवास, गीता उपदेश की लीला का मंचन किया गया. जयंत जब श्रीराम की शरण में पहुंचा तो उन्होंने उसकी एक आंख फोड़कर उसे अभयदान दे दिया. राम वन में अत्रि मुनि के आश्रम में पहुंचे तो मुनि ने उनका आतिथ्य सत्कार करने के बाद उनकी स्तुति की. अनुसुइया ने सीता को स्त्री धर्म सिखाया. वन में राम मतंग ऋषि से मिले.

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राक्षस विराज ने क्रोध से गर्जना करते हुए सर्प की तरह झपटकर सीता को चुरा लिया तो राम ने सात बाणों से मारकर उसका वध करके सीता को बचा लिया. रास्ते में शरभंग, सुतीक्ष्ण तथा अगस्त आदि ऋषि मुनियों से मिलते हुए राम पंचवटी पहुंचे. वहां पर्णकुटी बनाकर निवास किया.

लक्ष्मण को दिया उपदेश

लक्ष्मण ने उनसे कुछ जानने की इच्छा से ज्ञान, विराग, माया, भक्ति, ईश्वर और जीव के भेद को समझाने और शोक-मोह व भ्रम दूर करने को कहा तो उन्होंने उपदेश सुनाया. इसको सुनकर लक्ष्मण राम के चरण में गिर पड़े. यहीं पर भगवान की आरती के बाद लीला को विश्राम दिया गया.

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