पितृ अमावस्या आज, जानें पितरों को कैसे करें विदा ?

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आज पितृपक्ष का आखिरी दिन यानी पितृ अमावस्या मनाई जा रही है, हिंदू धर्म में पितृअमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. सर्वपितृ अमावस्या की तिथि सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है. यह तिथि आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हर साल मनाई जाती है. इस दिन उन सभी पितरों के लिए पिंडदान या तर्पण किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि अज्ञात है या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश पहले नहीं किया जा सका. इसलिए इसे सभी पिता की अमावस्या कहा जाता है. यह सर्व पितृ अमावस्या इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन वर्ष का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण होगा. ऐसे में आज श्राद्ध करना क्या शुभ होगा?

सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष का समापन पर होती है, इस दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध तिथि और पिंडदान की विधि अधिक महत्वपूर्ण होती हैं. आज कोई भी उपाय सफल नहीं माना जाता है. इस दौरान पितरों का स्मरण करते हुए उन्हें तर्पण दिया जाता है, पिता का आशीर्वाद मिलने से कई परेशानियां दूर हो जाती हैं.

सर्वपितृ अमावस्या की तिथि

पंचांग के अनुसार, 1 अक्टूबर को रात 9:40 बजे और 2 अक्टूबर को दोपहर 2:19 बजे सर्वपितृ अमावस्या होगी। मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहलाता है. उदया तिथि के अनुसार, अमावस्या 2 अक्टूबर को ही होगी.

ऐसे करें पितरों को विदा …

शुद्धिकरण और स्नान

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके,साफ कपड़े पहने. वही यदि हो सके तो, नहाने के लिए पवित्र नदी, तालाब या घर में गंगाजल का प्रयोग करें

पिंडदान

इसके बाद श्राद्ध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पिंडदान होता है, जिसके लिए आप चावल, जौ का आटा, तिल, गाय का घी और कुश का उपयोग पिंड तैयार करें. पितरों को इस गोलाकार पिंड को पवित्र घास पर रखकर अर्पित किया जाता है।.

तर्पण

इसके बाद तर्पण के लिए काले तिल को जल में मिलाकर पितरों का आह्वान करते हुए जल अर्पित किया जाता है, इस दौरान “ओम पितृभ्यः स्वधा” मंत्र बोलकर तीन बार जल अर्पित करें.

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दान दक्षिणा

सर्वपितृ अमावस्या पर भोजन में खीर पूड़ी होनी चाहिए, वही भोजन कराने और श्राद्ध करने के लिए दोपहर के समय को चुनना चाहिए. ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले पंचबली दीजिए और हवन करें. इसके बाद ब्राह्मण को सम्मानपूर्वक भोजन कराएं. उनका तिलक करके उनसे विदा करें. घर के सभी लोग बाद में मिलकर भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें.

खास बातें

सर्वपितृ अमावस्या पर सभी काम सूर्योदय से पहले कर लेना शुभ माना जाता है, श्राद्ध करते समय शुद्ध मन और पवित्रता होना बहुत महत्वपूर्ण है. इस दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने का दिन है, इसलिए तर्पण और दान में उदारता दिखानी चाहिए. इस विधि से श्रद्धापूर्वक और भावनाओं से किया गया श्राद्ध पितरों को संतुष्ट करता है, उनकी आत्माओं को शांति देता है और अपने वंशजों को आशीर्वाद देता है.

 

 

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