रामनगर की रामलीलाः टूटी वर्षों की परंपरा…

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वाराणसीः वर्षों से चली आ रही रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला की परम्परा शनिवार को हुई भारी बारिश के चलते टूट गई. बता दें लीला प्रारंभ होने पहले कुंवर अनंत नारायण सिंह को पीएससी के जवानों द्वारा सलामी दी जाती है. सलामी से पहले पीएससी की बैंड धुन बजाई जाती है. इस बार लगातार बरसात होने के कारण लीला स्थल पर पानी भर गया. इसके चलते समय से पहुंचे लीला स्थल पर पहुंच चुके पीएससी के जवानों को वापस लौटना पड़ा. इसके कारण वे कुंवर अनंत नारायण सिंह को सलामी नहीं दे पाए.

भरत ने राज सिंहासन संभालने से किया इंकार

उधर रामनगर की रामलीला में बारहवें दिन के प्रसंग के मुताबिक भरत ननिहाल से अयोध्या लौटे. माता की करनी सुनकर भरत अपने आप को कोसने लगे. वह कौशल्या के पास गए तो उन्होंने उनको समझाया कि होनी को कोई नहीं टाल सकता. गुरु वशिष्ठ ने उन्हें समझाया कि लाभ, हानि, जीवन मरण, यश, अपयश सब विधाता ही करता है. इसके लिए किसी को दोष देना व्यर्थ है. जो व्यक्ति उचित अनुचित का विचार छोड़ पिता की आज्ञा का पालन करता है वह सुख का भागी होता है. वह भरत को राज सिंहासन संभालने की सलाह देती हैं, लेकिन भरत राज सिंहासन संभालने से इनकार कर देते हैं.

भरत को निषादराज ने कहते है ये बात

वह परिजनों को लेकर राम को मनाने के लिए वन की ओर चल पड़े. वन में ही श्रीराम के राजतिलक के लिए चतुरंगिणी सेना और चारों तीर्थों का जल भी लेकर चलते हैं. भरत को आते देख निषाद राज का दूत उन्हें सूचना देता है कि भरत अपनी सेना के साथ आ रहे हैं. निषादराज सेवक से अपना धनुष बाण मंगा लेते हैं लेकिन भरत से मिलकर उनका भ्रम दूर हो जाता है. गुरु वशिष्ठ भरत को बताते हैं कि निषादराज राम के मित्र हैं. भरत जी रथ से उतरकर उनसे मिलते हैं.

निषादराज भरत के साथ सबको लेकर गंगा दर्शन कर गंगा जी को प्रणाम करते हैं. भरत की दशा देखकर निषादराज उनसे कहते हैं कि आप दुःखी मत होइए. भरत गंगा पार करके उस रास्ते सिर नवाते आगे बढ़े जिधर से राम गुजरे थे. सभी भारद्वाज मुनि के आश्रम पहुंचते हैं. भोजन करने के बाद सभी वही विश्राम करते हैं. यहीं पर आरती होती है.

भारी बारिश के बीच भरत, शक्षुधर पहुंचे लीला स्थल

विश्व प्रसिद्ध रामलीला प्रारंभ होने से पहले जमकर बरसात हुई. इसके चलते आज होने वाले लीला स्थल पर चारों तरफ पानी भर गया, चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देने लगा. बरसात अधिक होने के कारण चारों तरफ पानी लगा था. इसी पानी के बीच से भरत शत्रुघ्न तथा नेमी लोग लीला स्थल पर पहुंचे.

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समय से नहीं पाई लीला

भारी बरसात तथा लीला स्थल पर भरे पानी के चलते रामलीला समय से प्रारंभ नहीं हो पाई. स्वयं कुंवर अनंत नारायण सिंह के देर से पहुंचने के बाद लीला प्रारंभ हुई. वहीं कुंवर अनंत नारायण सिंह हाथी के स्थान पर अपने निर्धारित स्थान पर ही बैठकर लीला को देखा. कुंवर अनंत नारायण सिंह का वहां पानी के बीच में खड़ा होना पड़ा. इस दौरान उनका साथ नेमियों ने लीला देखा.

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