BHU- प्रोन्नति रोके जाने पर हाईकोर्ट ने दिया आदेश, कुलपति दें हलफनामा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू के कुलपति से मांगी सफाई.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी (बीएचयू) के कुलपति सुधीर के. जैन से पूछा है कि उन्होंने 4 जून, 2021 को कार्यकारिणी परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव के कार्यान्वयन को तीन साल तक क्यों रोके रखा है. इसे आज तक लागू नहीं किया गया है और याचिकाकर्ता को लाभ से वंचित रखा गया है. साथ ही आदेश दिया है कि वे इस संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा एक सप्ताह के भीतर दाखिल करें.

कुलपति को यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन असावाल ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के आयुर्वेद आयुर्विज्ञान संस्थान के सहायक प्रोफेसर डा. सुशील कुमार दुबे की याचिका पर दिया है. डा. दुबे को तीन साल पहले कार्यकारी परिषद के प्रस्ताव के बावजूद पदोन्नति लाभ से वंचित किया जा रहा है.

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क्या है पूरा मामला

डा. सुशील कुमार दुबे का कहना है कि उनकी नियुक्ति 27 जनवरी 09 को राजकीय आयुर्वेदिक कालेज वाराणसी में हुई थी. 2018 में वह बीएचयू में सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए. उन्होंने पिछली सेवा जोड़ने की कैरियर एडवांस स्कीम के तहत प्रोन्नति की मांग की थी.

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प्रस्ताव को अनुमोदित कर अमल नहीं किया गया

डा. दुबे की मांग को स्वीकार कर उन्हें सहायक प्रोफेसर स्टेज दो की प्रोन्नति दी गई. इसके बाद एक मार्च 19 को याची को सहायक प्रोफेसर स्टेज तीन की प्रोन्नति दी गई. कार्यकारिणी परिषद ने 4 जून 21 के इस प्रस्ताव से अनुमोदित भी कर दिया लेकिन इसके बाद इस पर अमल नहीं किया गया.

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कुलपति के अधिवक्ता ने कहा

प्रस्ताव के तीन साल बाद कुलपति ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के 23 फरवरी 21 के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि इस पर पुनर्विचार किए जाने की जरूरत है.

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वहीं कुलपति के अधिवक्ता राहुल अग्रवाल का कहना है कि स्पष्ट किया जाना है कि याची ने स्टेज दो लगातार पांच साल की सेवा पूरी की है या नहीं..

याचिका की अगली सुनवाई

वहीं कोर्ट ने कहा है कि कुलपति ने तीन साल बाद यह निर्णय लिया. लगता है जानबूझकर यह निर्णय लिया गया है. अब इस याचिका की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी.

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