सीएम आतिशी के नाम को लेकर छिड़ा विवाद, मार्लेना सरनेम के लगने और हटने की पीछे की क्या है कहानी, जानें ?

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आतिशी, आतिशी सिंह , आतिशी सिंह मार्लेना या आतिशी मार्लेना ….! दिल्ली के सीएम की गद्दी संभालने की चर्चा के बीच दिल्ली की नई सीएम आतिशी के नाम को लेकर विवाद छिड़ गया है. ऐसे में सवाल है क्या आतिशी क्रिश्चियन हैं, अगर हां तो उनकी मां डॉ. तृप्ता वाही, पापा पंजाबी राजपूत विजय सिंह और यहां तक कि उनके पति जिनका नाम प्रवीण सिंह हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आतिशी के नाम के साथ मार्लेना सरनेम कैसे जुड़ा.

एक उम्र पर ऐसा क्या हुआ जिसके बाद उन्हें यह सरनेम हटाकर अपनी पहचान सिर्फ अपना नाम ही रखना पड़ा है ? इसका कारण है कि साल 2019 लोकसभा और 2020 के विधानसभा चुनाव के ऐफिडेविट में भी उनका नाम आतिशी मार्लेना ही है. ऐसे में उनका सरनेम किसी उलझे हुए धागे की तरह लगता है, जो जाति के जंजाल में फंसा हुआ है. इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आतिशी के सरनेम के पीछे की क्या है पूरी कहानी ?

कैसे मिला मार्लेना सरनेम ?

आपको बता दें कि 8 जून 1981 को दिल्ली में जन्मी आतिशी को यह सरनेम उनके पिता विजय सिंह द्वारा दिया गया था. इसकी वजह उनका मार्क्स और लेनिन के नाम से प्रेरित होना बताया जाता है. इस बात का खुलासा आतिशी ने साल 2019 में एक इंटरव्यू के दौरान किया था. उन्होंने जानकारी दी थी कि वह एक पंजाबी राजपूत हैं, लेकिन मार्लेना सरनेम उनके माता-पिता द्वारा उन्हें दिया गया था. इसकी वजह उनका लेफ्ट विचारधारा से प्रभावित होना था. बताते हैं कि आतिशी के नाम के साथ मार्लेना सरनेम स्कूल के समय से जुड़ गया था, जिसकी वजह से उनका नाम आतिशी मार्लेना पड़ गया.

क्यों हटाना पड़ा सरनेम ?

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब पूर्वी दिल्ली से आतिशी को उम्मीदवार बनाया गया था, उन्होंने अपना सरनेम मार्लेना अपने नाम के आगे से हटा दिया था. उस दौरान विपक्षी पार्टियों का दावा था कि आतिशी एक ईसाई महिला हैं, जबकि वह एक पंजाबी राजपूर परिवार से आती हैं. इसलिए आतिशी ने अपनी पार्टी के कहने पर मार्लेना सरनेम अपने नाम के आगे से हटा दिया था. दूसरी तरह सरनेम हटाने के पीछे की वजह यह भी बताई जाती है कि आतिशी ने कम्युनिस्ट आइकन कार्ल मार्क्स और व्लादिमीर लेनिन को श्रद्धांजलि देने के लिए अपने नाम से मार्लेना सरनेम हटा दिया था. एक साक्षात्कार में आतिशी ने बताया था कि, “मैंने अपना पारिवारिक सरनेम काफी साल पहले छोड़ दिया था ‘.

आप नेताओं ने बताया था आतिशी को क्षत्राणी

यह सरनेम विवाद मात्र उनके सरनेम हटने पर खत्म नहीं हुआ था. 2019 लोकसभा चुनाव में इस विवाद के तूल पकड़ने पर जब आतिशी ने अपना सरनेम हटा दिया था. विपक्षी पार्टियों ने इस बात का दावा किया कि मार्लेना सरनेम हटाने के पीछे का मकसद वोटरों को बरगलाना है. इस पर सफाई देते हुए आप के तत्कालीन महासचिव अक्षय मराठे ने कहा था कि ”प्रगतिशील राजनेता वोट मांगने के लिए अपनी जाति के नाम का उपयोग नहीं करते हैं. उन्हें ‘मार्लेना’ हटाने और केवल आतिशी का उपयोग करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है.”

 

इसके अलावा मौजूदा डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी इस आरोप का खंडन करते हुए एक्स पोस्ट में कहा था कि, ”बीजेपी और कांग्रेस के लोगों ! ध्यान रखना कि उनका पूरा नाम आतिशी सिंह है. वह एक राजपूतानी हैं. एक कट्टर क्षत्राणी… झांसी की रानी. सावधान! वह जीतेंगी और इतिहास भी रचेंगी. 2019 लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली के बीजेपी उम्मीदवार गौतम गंभीर के मुकाबले में उतरी आतिशी ने अपने एफिडेविट में मार्लेना सरनेम का इस्तेमाल किया था. 2020 के विधानसभा चुनाव में वह पूरे नाम के साथ उतरीं, मगर उनका सरनेम ‘ सिंह ‘ गायब था.”

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आज आतिशी लेंगी शपथ

वहीं आपको बता दें कि आज आतिशी सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही दिल्ली की तीसरी और सबसे कम उम्र की सीएम बन जाएंगी. हालांकि, उनका कार्यकाल बहुत छोटा होने वाला है जो शायद साल भर का भी नहीं होगा. वहीं इन कुछ दिनों में भी देखना यह होगा कि, जिस तरह से सिसोदिया और केजरीवाल के जेल जाने के बाद उन्होंने पार्टी को संभाला या यूं कहे की पार्टी का चेहरा बनीं. कई बार वह पार्टी की तरफ से सामने आईं और जवाब दिया, भावुक हुईं और अपनी बात रखीं. जिस प्रकार उन्होंने काम कर केजरीवाल का विश्वास जीता, उसपर कितनी खरी उतर पाती हैं यह देखना काफी दिलचस्प होगा.

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