केजरीवाल के इस्तीफे के बाद, दिल्ली में क्या नया CM या मध्यावधि चुनाव? …
पार्टी ने जनता पर छोड़ा फैसला...
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अपना इस्तीफा देने का एलान किया है. आज के दो दिन बाद यानि 17 सितम्बर को वह अपने पद से इस्तीफ़ा दे देंगे. तिहाड़ जेल से छूटने के बाद जिस तरह से केजरीवाल ने इस्तीफे का एलान किया है उससे राजनीति गलियारों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है. केजरीवाल के एलान के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि उन्होंने फैसला जनता पर छोड़ दिया है. लेकिन केजरीवाल के फैसले के बाद यह तय नहीं है कि दिल्ली में नया मुख्यमंत्री बनेगा या विधानसभा भंग होगी.
आइये जानते हैं केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में क्या हो सकता है ?…
बता दें कि केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिल सकता है. लेकिन केजरीवाल ने कहा कि मैं और मनीष इस पद के लिए नहीं हूं. उन्होंने कहा कि विधायक दल की बैठक में नया नेता चुना जाएगा जिससे यह साफ़ हो गया है कि पार्टी इस बार किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है.
मुख्यमंत्री के लिए तस्वीर साफ़ नहीं…
मुख्यमंत्री केजरीवाल के CM पद से इस्तीफे के एलान के बाद से अभी इसको लेकर स्थिति साफ़ नहीं है क्योंकि इस मामले में नेताओं की राय अलग -अलग है. पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि- केजरीवाल के भविष्य का फैसला जनता करेगी जिससे साफ़ है कि पार्टी जल्दी चुनाव चाहती है. वहीं AAP नेता संदीप पाठक ने भी जनता की अदालत का नाम लिया है जिससे यह साफ़ नहीं हो पा रहा है कि पार्टी नया मुख्यमंत्री चुनेगी या विधानसभा भंग करेगी.
भंग हो सकती है विधानसभा…
वहीं, अब सवाल यह है कि केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी कोई नेता न चुनकर विधानसभा को भंग कर सकती है. यह फैसला राज्यपाल करते हैं लेकिन दिल्ली में उपराज्यपाल को यह अधिकार है. वहीं, सारी परिस्थितियों को देखते हुए उपराज्यपाल विपक्ष को सरकार बनाने के मौका दे सकते हैं लेकिन दिल्ली में यह सवाल नहीं उठता है क्योंकि यहां AAP 62 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत में है.
विधानसभा भंग तो 6 माह में चुनाव…
गौरतलब है कि अगर दिल्ली में विधानसभा भंग होती है तो 6 माह के अंदर चुनाव हो सकते हैं. इसका कारण है कि विधानसभा भंग होने के बाद राज्य में नए सिरे से चुनाव होते हैं, जिसे मध्यावधि चुनाव कहा जाता है. संविधान के अनुच्छेद 174 (2) (B) में मध्यावधि चुनाव का प्रावधान है. इसमें कहा गया है कि विधानसभा भंग होने के बाद 6 महीने के अंदर चुनाव कराना जरूरी है. चुनाव होने और नई सरकार चुने जाने तक संबंधित राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहता है.
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क्या चाहते हैं केजरीवाल ?…
दिल्ली की राजनीति की समझ रखने वाले राजनीतिक जानकार कहते हैं कि दिल्ली सरकार का कार्यकाल अभी करीब 5 महीने और बचा है. केजरीवाल और आम आदमी पार्टी अपना पूरा कार्यकाल ख़त्म करना चाहेगी. विधानसभा भंग होने का मतलब है कि राज्य की सत्ता राष्ट्रपति के जरिए केंद्र सरकार के हाथ में होती है. इसलिए केजरीवाल के इस्तीफे के एलान से साफ़ है कि वह विधानसभा भंग करना नहीं चाहते.