किसान के कंधे से वोट पर निशान, सरकार ने प्याज औऱ बासमती चावल का बढ़ाया एक्सपोर्ट

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सरकार ने मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) सीमाओं को प्याज और बासमती चावल से हटा दिया है. इसको लेकर सरकार का कहना है कि, इस कदम से देश का निर्यात बढ़ेगा. साथ ही प्याज निर्यात करने से भी किसानों की आय बढ़ेगी, लेकिन यह बस इतना नहीं है, इसमें सरकार एक तीर से दो निशाने लगाने का प्रयास कर रही है. दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि सरकार ने यह बदलाव महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले चुनावों को देखते हुए किया है. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अभी नहीं हुए हैं, लेकिन जल्द ही हो सकते हैं. वहीं अगले महीने हरियाणा में चुनाव होने ही हैं. महाराष्ट्र देश में प्याज उत्पादन में अग्रणी है. साथ ही, हरियाणा बासमती चावल उत्पादक राज्यों में से एक है.

MEP अभी तक प्याज पर 550 डॉलर प्रति टन था, लेकिन विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इसे तत्काल प्रभाव से हटा दिया है. इसी तरह वाणिज्य विभाग ने बासमती चावल के निर्यात के लिए RCAC लागू करने की घोषणा की है. इसके लिए मौजूदा MEP (950 डॉलर टन) को हटाने का फैसला किया गया है. व्यापार और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि, इस कदम से किसानों की आमदनी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा.

चावल की कीमत में पिछले साल आयी थी गिरावट

पिछले साल अक्टूबर महीने में सरकार ने बासमती चावल की न्यूनतम कीमत को 1200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया था, ऐसा अधिक कीमतों से निर्यात प्रभावित होने की चिंता के कारण किया गया था. वही 27 अगस्त 2023 को सरकार ने सफेद गैर-बासमती चावल के अवैध निर्यात को नियंत्रित करने के लिए 1200 डॉलर प्रति टन से कम कीमत पर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था.

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लोकसभा चुनाव के दौरान प्याज पर हुआ था फैसला

वही इस साल मई में हुए लोकसभा के बीच सरकार ने प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया था.हालांकि, एमईपी ने 550 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया था. सरकार ने प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाए रखा था. पिछले अगस्त में सरकार ने 31 दिसंबर 2023 तक प्याज पर 40% निर्यात शुल्क लगाया था. 8 दिसंबर 2023 को इस साल 31 मार्च तक प्याज के निर्यात पर पहले से ही बैन लगा दिया गया था.

वही सरकार की इस कार्रवाई से प्याज की कीमतें कम हो सकती हैं, प्याज का खुदरा मूल्य अभी भी 80 रुपये प्रति किलो है. MEP की सीमा प्याज पर हटा दी जाएगी तो प्याज को दूसरे देशों में तेजी से भेजा जाएगा. यही कारण है कि घरेलू प्याज की बिक्री में कमी आई है. इससे प्याज की लागत बढ़ सकती है. यह बासमती चावल पर भी लागू होगा, यह भी कीमत में तेजी से मिल सकता है.

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