दिन-रात के बंधन से मुक्ति हुई सूरज की किरणें, अब ऑनलाइन होगी डिलीवर !

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कल्पना करें की आप कोई दुकान पर जाता है और कहता है कि, ”भैय्या एक किरण सूरज की देना..” यह कल्पना तो नामुमकिन है ही वहीं अगर आप से कोई ऐसा कहता है तो, आपकी हंसी ही छूट जाएगी. आप कहेंगे भला ऐसा भी हो सकता है कि सूरज की रौशनी दुकानों पर बिके. लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे ही वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं जिसमें इस बात का दावा किया जा रहा है.

साल 2025 से आप एक वेबसाइट के माध्यम जब चाहे तब अपने छत या किसी भी स्थान पर सूरज की रोशनी को ऑर्डर कर सकते हैं. चूंकि, सोशल मीडिया पर कुछ भी वायरल होता है तो, वायरल हो रही इस रील पर भी यकीन कर पाना किसी के लिए भी मुश्किल है. ऐसे में आज हम आपको इस वीडियो के दावे के सच और झूठ के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए देखते हैं यह दावा कितना सच है ?

 

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रिफ्लेक्ट ऑर्बिटल नामक कंपनी बेचेगी सूरज की रौशनी

दरअसल, अमेरिका के कैलिफोर्निया की एक कंपनी है, जिसका नाम ”रिफ्लेक्ट ऑर्बिटल” . इस कंपनी ने सूरज की रौशनी बेचने का दावा किया है. इस कंपनी के अनुसार, वह अंतरिक्ष में अपनी एक सेटलाइट्स लॉन्च करने वाली है, जिसकी सहायता से किसी भी समय कोई भी इंसान सूरज की रोशनी को रिफ्लैक्शन की मदद से धरती पर पाया पाएगा, जिससे बिना किसी भी बाधा के एनर्जी प्रोडक्शन जारी रहने वाला है.

वहीं इसको लेकर रिफ्लेक्ट ऑर्बिटल के सीईओ बेन नोवाक ने लंदन में आयोजित ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन एनर्जी फ्रॉम स्पेस’ में अपना यह आईडिया प्रदर्शित किया है. इसमें अपने आईडिया की जानकारी देते हुए नोवाक ने कहा है कि ”उनकी कंपनी अंतरिक्ष में ऐसे सैटेलाइट्स भेजने की योजना बना रही है, जो सूरज की रोशनी को इकट्ठा करके उसे धरती के सोलर पैनल्स पर रात के समय भेज सके.”

योजना को दिया गया यह नाम

वहीं इस योजना को सनलाइट ऑन डिमांड नाम से जाना जाएगा, जिसमें सूरज की रौशनी दिन और रात के किसी भी बंधन से मुक्त होगी और आप जब चाहे जिस समय चाहे सूरज की रौशनी ऑर्डर करके मंगा सकेंगे. इसका मतलब साफ है कि जिस तरह से रात और सर्दियों के महीने में हमें सूरज की रोशनी का इंतजार करना पड़ता था, अब वो नहीं करना पड़ेगा. हम जब चाहे, जिस समय चाहे सूरज की रौशनी को पा सकेंगे.

इंटरव्यू में नोवाक ने किया ये खुलासा

इसके साथ ही कंपनी के मालिक नोवाक ने एक इंटरव्यू में अपनी योजना को लेकर कहा है कि, ”मेरे पास सौर ऊर्जा से जुड़ी वास्तविक समस्या को हल करने का एक दिलचस्प तरीका है. यह एक अजेय शक्ति है… हर कोई हर जगह ढेर सारे सौर पैनल लगा रहा है, जो मानवता को ऊर्जा प्रदान करने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है लेकिन सूरज की रौशनी रात के समय बंद हो जाती है. अगर आप इस मूलभूत समस्या को भी हल कर देते हैं, तो आप हर जगह सौर ऊर्जा को हासिल करने की समस्या से छुटकारा पा लेंगे. वे अपनी कंपनी के जरिए दिन के उजाले में ही नहीं बल्कि रात के अंधेरे में भी सोलर एनर्जी की क्षमता का इस्तेमाल कर सकते हैं और दुनिया की बिजली उत्पादन क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं.”

कैसे काम करेगा यह आईडिया ?

इसको लेकर नोवाक की कंपनी ने अपने अनोखे आईडिया का एक वीडियो जारी किया है, जिसमें यह कैसे काम करेगा इसकी जानकारी दी गई है. इसमें इस बात को साफ किया गया है कि किसी प्रकार रात के समय सूरज की रौशनी को धरती पर पहुंचाया जाएगा. कंपनी के मालिक ने कहा है कि, हमारा लक्ष्य रात में भी सूरज की रोशनी को उपलब्ध करवाना है, जिससे लोग अपने घरों में रात में भी सूरज की रोशनी प्राप्त कर सकें. इसके लिए योजना के अंतर्गत 57 छोटे सेटेलाइट को लॉन्च किया जाएगा, इनमें हर सेटेलाइट 33 वर्ग फुट अल्ट्रा रिफ्लेक्टिव मायलर मिरर से लैस होगी. इन मिरर यानी शीशों की मदद से पृथ्वी पर सौर फार्मों में सूर्य के प्रकाश को वापस रिफ्लेक्ट करने के लिए तैयार किया गया है.

2025 में लांच होगी ”सनलाइट ऑन डिमांड”

ये सेटेलाइट पृथ्वी की सतह से लगभग 600 किलोमीटर की ऊंचाई पर घूमेंगे, पीक डिमांड के दौरान सेटेलाइट सोलर एनर्जी प्लांट्स को अतिरिक्त 30 मिनट की धूप प्रदान कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो मानिए कि ये स्टार्टअप में चमत्कार करेंगे. इस स्टार्टअप में सात लोगों की टीम काम करती है, जो अपने विचार को पहले ही एक हॉट एयर बैलून में 8 बाई 8 फीट का मायलर मिरर से जोडकर अपने कॉन्सेप्ट का पहले ही टेस्ट कर चुकी है. वहीं कंपनी इसे साल 2025 में लॉन्च कर सकती है.

पहले भी हो चुका है यह प्रयोग

यह योजना काफी अविश्वसनीय लगती है, लेकिन क्या आपको मालूम है इसस पहले एक देश इस योजना पर काम कर चुका है. जी हां, कैलिफोर्निया से पहले रूस इस योजना पर काम कर चुका है. साल 1992 में रूस ने एक जनाम्या 2 मिशन लॉन्च किया था. उस दौरान कक्षा में रूस ने दर्पण लगाए थे, जिससे कुछ समय के लिए धरती पर सूरज की रोशनी पहुंच रही थी. हालांकि, रूस के वैज्ञानिक इस योजना को दोहराने में सफल नहीं रहे थे. इसकी वजह थी आर्थिक किल्लत, क्योंकि उस समय पर आकाश में उपग्रहों को भेजना काफी महंगा हुआ करता था. इसलिए रूस इस योजना को सफल नहीं कर पाया था.

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कितना सही है रिल का दावा ?

यह दावा शतप्रतिशत सही है, क्योंकि कैलिफोर्निया में एक कंपनी वाकई में सूरज की रोशनी को बेचने की तैयारी कर रही है, जिसकी टेस्टिंग भी की जा चुकी है. वहीं कुछ मंजूरियों की वजह से यह योजना इस साल दुनिया में लांच नहीं हो पा रही है, लेकिन उम्मीद है कि साल 2025 में यह योजना लॉन्च की जाएगी. इसके साथ ही सूरज की किरणें दिन रात के बंधन से आजाद होकर किसी भी समय आपकी छत पर दस्तक दे पाएंगी.

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