हिमाचल में आया आर्थिक संकट, 1.5 – 2 लाख कर्मचारियों को न सैलरी न पेंशन…

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इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब हिमाचल प्रदेश आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. वह भी इस कदर की वह अपने राज्य की कर्मचारियों का वेतन तक निकाल पाने में अक्षम है. इसकी वजह से राज्य के लगभग 2 लाख कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली है, वहीं 1.5 लाख पेंशनधारियों को पेंशन भी नहीं मिल पाई है. इस वजह से कर्मचारियों और पेंशनधारियों के जीवन प्रभावित हो रहा है. आखिर यह स्थिति पैदा क्यों हुई और इसके पीछे की वजह क्या है आइए जानते हैं खबर के विस्तार में…

कर्ज में डूबा हिमाचल प्रदेश…

हिमाचल में आर्थिक संकट की वजह उसपर भारी कर्ज का होना है. इसका कारण है कि वर्तमान समय में हिमाचल प्रदेश पर तकरीबन 94 करोड़ रूपए का कर्जा है. ऐसे में इस वित्तीय बोझ की वजह से हिमाचल प्रदेश वित्तीय तौर पर काफी कमजोर हो गया है. राज्य को पुराने कर्ज अदा करने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं और इस वजह से राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति और खराब होती चली जा रही है. ऐसे में राज्य पर अपने ही राज्य की कर्मचारियों और पेंशनधारियों का भी लगभग 10 करोड़ रुपयों की देनदारी माथे आ गिरी है.

वहीं इस राशि का भुगतान न कर पाने की वजह से राज्य को अलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को आज भी सैलरी-पेंशन नहीं मिलने की संभावना है. आपको बता दें कि साल 2022 चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए कई महत्वपूर्ण वादे किए थे. सरकार में आने के बाद इन वादों पर बहुत पैसा खर्च किया गया है. हिमाचल प्रदेश सरकार के बजट का 40 प्रतिशत सैलरी और पेंशन देने में खर्च होता है. कर्ज और ब्याज चुकाने में लगभग 20% ब्याज चुकाना होता है.

सरकार ने लिया यह फैसला

बीते दिनों हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने इस खराब आर्थिक स्थित से निपटने के लिए बड़ा फैसला किया था. इसमें सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि, ” मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव, बोर्ड निगमों के चेयरमैन दो महीने तक वेतन-भत्ता नहीं लेंगे. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से भी वेतन-भत्ता दो महीने के लिए छोड़ने की मांग रखी थी. प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए वो दो महीने के लिए अपना और अपने मंत्रियों का वेतन-भत्ता छोड़ रहे हैं. इसके आगे सीएम ने विधायकों से कहा था कि, हो सके तो दो महीना एडजस्ट कर लीजिए. अभी वेतन-भत्ता मत लीजिए. आगे देख लीजिएगा.”

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सुक्खू सरकार ने भाजपा पर लगाए ये आरोप

बीते कुछ दिनों पहले सीएम सुक्खू ने इस पूरे आर्थिक संकट का भंडा पूर्व में रही भाजपा सरकार पर फोड़ा था. कहा था कि, ‘हमें पिछली भाजपा सरकार द्वारा छोड़ा गया कर्ज विरासत में मिला है, जो राज्य को फाइनेंशियल इमरजेंसी में धकेलने के लिए जिम्मेदार है. हमने राजस्व प्राप्तियों में सुधार किया है. पिछली सरकार ने पांच साल में 665 करोड़ रुपये का आबकारी राजस्व एकत्र किया था और हमने सिर्फ एक साल में 485 करोड़ रुपये कमाए. हम इस पर काम कर रहे हैं और राज्य की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

– राज्य में 1,89,466 से अधिक लोग पेंशन ले रहे हैं, जो 2030 से 31 तक 2,38,827 होने की उम्मीद है.
– केंद्रीय सरकार ने कर्ज सीमा को 5% से 3% कर दिया है, जिससे राज्य सरकार जीडीपी का केवल 3% कर्ज ले पाएगी.

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