BHU : संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा-शिक्षा नीति को पुनः परिभाषित करने की जरूरत
सामाजिक विज्ञान संकाय के ’संबोधी सभागार’ में “भारतीय शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे एवं चुनौतियां“ विषय पर संगोष्ठी
शिक्षक दिवस के अवसर पर रविवार को प्रोफेसर हरिहरनाथ त्रिपाठी फाउंडेशन के तत्वावधान में बीएचयू सामाजिक विज्ञान संकाय के ’संबोधी सभागार’ में “भारतीय शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे एवं चुनौतियां“ विषय पर संगोष्ठी हुई. इसमें वक्ताओं ने कहाकि शिक्षा नीति को पुनः परिभाषित करने की जरूरत है.
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कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं में सामाजिक विज्ञान संकाय के पूर्व डीन प्रो. आर. पी. पाठक, प्रो एन के दुबे (पूर्व विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान विभाग) प्रो. सरफराज आलम (भूगोल विभाग), प्रो. धीरज किशोर (चिकित्सा विज्ञान संस्थान), प्रो. श्रद्धा सिंह (हिंदी विभाग) और डॉ. आभा मिश्रा पाठक (महिला महाविद्यालय) रहीं.
शिक्षकों की भूमिका अतुलनीय
वक्ताओं ने छात्रों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं चारित्रिक निर्माण में शिक्षकों की भूमिका को अतुलनीय बताया.
प्राचीन काल से आधुनिक काल तक शिक्षकों के समक्ष कर्तव्यबोध एवं चुनौतियां सदैव रही है और अधिकांश शिक्षक अपने इस दायित्व के साथ प्रयासरत हैं. कहा गया कि शिक्षकों के प्रति भी समाज को संवेदनशील होना चाहिए.
शिक्षा व्यवसाय नही, साधन भी नहीं अपितु चरित्र निर्माण का केंद्र बिंदु होना चाहिए. वक्ताओं ने कहाकि शिक्षा नीति को पुनः परिभाषित करना चाहिए, ग्रामीण और शहरी शिक्षा में एकरूपता की नितांत आवश्यकता है.
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70 शिक्षकगणों को दिया विशिष्ट अध्यापक सम्मान
कार्यक्रम में प्रोफेसर हरिहरनाथ त्रिपाठी फाउंडेशन के द्वारा वाराणसी, आजमगढ़, बलिया के कुल 70 शिक्षकगणों को विशिष्ट अध्यापक सम्मान एवं अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में प्रो. मल्लिकार्जुन जोशी, प्रजनाथ शर्मा, राजेंद्र तिवारी, दीपेश चौधरी, डॉ. ओ.पी. राय, देवेन्द्र सिंह, डॉ. पवन दुबे, विनोद, वैभव त्रिपाठी, श्रद्धा राय आदि रहीं. कार्यक्रम का संयोजन और संचालन डॉ. क्षेमेन्द्र मणि त्रिपाठी(विधि संकाय) ने किया. कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. विभा राय (सनबीम कॉलेज फॉर वूमेन), विवेक, देवांश मिश्रा, हिमांशु, आकाश, आदित्य, रोहन प्रजापति, शालिनी, उमा दुबे, दिव्या गर्ग, श्रेया, साक्षी, राघव आदि की भूमिका रही.