क्या है Hindenburg रिसर्च , जो खोज निकालता है कंपनियों के ‘गहरे राज’…
नई दिल्ली: देश में हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की एक रिपोर्ट जारी होने के बाद फिर से राजनीति में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. इतना ही नहीं इस बार हिंडेनबर्ग ने SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट जारी की है. आरोप लगाया है कि SEBI चेयरपर्सन के पास अडानी ग्रुप (Adani Group) की एक कंपनी में हिस्सेदारी है. उन पर घोटाले में शामिल होने का भी आरोप है.
इतना ही नहीं हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा कि अडानी समूह में शेयर होने के चलते SEBI ने अडानी समूह पर कोई 18 महीने में कोई कार्यवाही नहीं की है. हालांकि, अब इस मामले में SEBI चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति ने उन पर लगे तमाम आरोपों को खारिज करते हुए सफाई दे दी है. अडानी ग्रुप की तरफ से भी सफाई जारी की जा चुकी है, लेकिन एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर हिंडनबर्ग चीज क्या है और यह क्या काम करती है…
जानें क्या है हिंडेनबर्ग रिसर्च ?…
बता दें कि हिंडेनबर्ग अमेरिका की एक निवेश कंपनी है. इसकी शुरुआत साल 2017 में Nathan Anderson नाम के एक बिजनेसमैन ने की थी. कंपनी का दावा है कि वह फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च में एक्सपर्ट है और उसके पास दशकों का अनुभव है. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार यह कंपनी ऐसे सूत्रों से मिली जानकारियों के आधार पर शोध करती है, जो असामान्य होते हैं. यह जानकारियां ऐसी होती हैं, जिन्हें ढूंढना बहुत ही मुश्किल होता है. ये कहना गलत नहीं होगा कि ये फर्म तमाम कंपनियों के डार्क सीक्रेट ढूंढ निकालता है. बता दें कि यह कंपनी शुरू करने से पहले वह Harry Markopolos के साथ भी काम कर चुके हैं, जिन्होंने महाठग कहे जाने वाले Bernie Madoff की पोंजी स्कीम का पर्दाफाश किया था.
क्या करती है हिंडनबर्ग कंपनी ?
2017 में नाथन एंडरसन नाम का एक शख्स ने हिंडनबर्ग नाम से इस कंपनी की शुरुआत की. इस कंपनी का मुख्य का काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करना है. इस रिसर्च के जरिए हिंडनबर्ग कंपनी ये पता करती है कि शेयर बाजार में कहीं गलत तरह से पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं हो रही है. बड़ी कंपनियां अपने लाभ के लिए अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो नहीं कर रही हैं. इस तरह की जानकारी जुटाने के बाद हिंडनबर्ग कंपनी एक विस्तार से रिपोर्ट पब्लिश करती है. कई बार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर दुनियाभर के शेयर मार्केट पर देखने को मिला है.
दुनिया में कई कंपनियों के खिलाफ जारी कर चुका है रिपोर्ट….
गौरतलब है कि यह फर्म अब तक कई कंपनियों के खिलाफ जांच रिपोर्ट जारी कर चुकी है. इसके चलते उनके कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट देखने को मिली है. बता दें कि साल 2020 में इसी कंपनी ने अपने शेयर अमेरिका की ट्रक बनाने वाली कंपनी निकोला (Nikola) और सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर में भी अपनी हिस्सेदारी बेची थी. इससे उन दोनों कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. गौरतलब है कि हिंडेनबर्ग के मुताबिक यह फर्म अब तक देश में कई कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट जारी कर चुकी है. जिसमें WINS Finance, China Metal Resources Utilization, HF Foods और Riot Blockchain शामिल है.
जानें कैसे पड़ा इसका नाम…
बता दें कि इस फर्म का नाम हिंडेनबर्ग एक डिजास्टर यानी त्रासदी को ध्यान में रखते हुए रखा गया था. यह जानकारी हिंडेनबर्ग की वेबसाइट के अनुसार है. देश ही नहीं दुनिया में लोग इस कंपनी का नाम सुनकर हैरान होते हैं कि आखिर इसने ऐसा नाम क्यों रखा और इसके पीछे की वजह क्या थी. कंपनी का मानना है कि उस डिजास्टर को टाला जा सकता है, लेकिन सही वक्त पर सही कदम नहीं उठाए गए.
नाम के पीछे हिंडनबर्ग एयरलाइंस…
जी हां यह बात हो रही है उस समय कि जब एक हादसे में 37 लोगों की जान चली गई थी. ये बात है 6 मई 1937 की, जहां, हिंडनबर्ग एयरलाइंस का विमान अमेरिका से न्यू जर्सी के मैनचेस्टर में हादसे का शिकार हो गया था. इसमें करीब 37 लोगों की जलकर दर्दनाक मौत हुई थी. बता दें कि उस दौर में यह एयरलाइन हाइड्रोजन से भरे एयरशिप में करीब 100 लोगों को बैठाकर ले गया था. हाइड्रोजन गैस बहुत ही ज्वनलशील गैस होती है, लेकिन फिर भी इस बात को नजरअंदाज किया गया. यह भी तब किया गया, जबकि इसी तरह के दर्जनों छोटे-मोटे हादसे पहले भी हो चुके थे.
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