काशी में सावन, जहां होता है बाबा विश्वनाथ के अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार
आज सावन का चौथा सोमवार है. प्रत्येक सावन के सोमवार को बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है. जहां बाबा का अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया जाता है. चौथे सोमवार को बाबा का रुद्राक्ष श्रृंगार होगा.
उत्तर प्रदेश में वाराणसी की धरती सबसे पवित्र नदी गंगा के तट पर स्थित है और यहां यह शहर भगवान शिव को समर्पित है. वहीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ धाम माना जाता है. कहा जाता है कि यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती का आदि स्थान है. सावन का पावन महीना चल रहा है और आज सावन का चौथा सोमवार है. प्रत्येक सावन के सोमवार को बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है. जहां बाबा का अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया जाता है. चौथे सोमवार को बाबा का रुद्राक्ष श्रृंगार होगा.
चौथे सोमवार को देवाधिदेव महादेव का शृंगार रुद्राक्ष से किया जाएगा. इससे पहले श्रावण माह में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पिछले तीन सोमवार को बाबा विश्वनाथ का अलग अलग ढंग से शृंगार हो चुका है. इस साल गौरी शंकर स्वरूप का श्रृंगार, अर्धनारीश्वर स्वरूप का श्रृंगार, बाबा का परिवार माता पार्वती श्रृंगार, कार्तिकेय और गणेश का श्रृंगार किया जाता है. इसके अलावा बाबा का रुद्राक्ष श्रृंगार और सावन पूर्णिमा वार्षिक झूला श्रृंगार किया जाता है.
शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सावन का चौथा
सावन का चौथा सोमवार भगवान शिव की विधिवत उपासना के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन महादेव के भक्त व्रत रखते हैं. शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाते हैं. इसके बाद भगवान शिव से सुख-समृद्धि और मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सावन का चौथा सोमवार है. सुबह से ही भक्तों का ताता शिवालयों में लगने लगा हैं. जहां भक्त शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र से अभिषेक कर खुशहाली और मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना कर रहे हैं.
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काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने की विशेष धार्मिक मान्यताएं
वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम में कांवड़ियों के साथ अन्य शिवभक्तों की भीड़ रहती है. सावन के सोमवार को जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है. ऐसे में आप भी सावन के चौथे सोमवार को विशेष पूजा कर सकते हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना विशेष धार्मिक मान्यताओं के अनुसार की जाती है और यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ आती है. बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी और सावन का अन्योन्याश्रित संबंध है. इस मास की पूर्णमासी श्रवण नक्षत्र से युक्त होने के कारण इसे श्रावण मास कहते हैं.
कैलाश छोड़कर शिव ने कहां किया था निवास?
सावन सोमवार को शिव भक्तों की भीड़ और बढ़ जाती है.बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन को रविवार की रात से ही भक्त जुटने लगते हैं. प्रत्येक सोमवार को लाखों भक्त बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं. जहां सावन के प्रत्येक सोमवार को बाबा का अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया जाता है. कहा जाता है कि अगर शिव को पाना है तो वो पृथ्वी पर एक ही स्थान है काशी. मान्यताओं के अनुसार महादेव ने माता पार्वती के कहने पर कैलाश छोड़ दिया था. कैलाश छोड़कर उन्होंने जहां निवास किया वह कोई और नहीं बल्कि काशी है.
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जहां काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है. विशेष तौर पर सावन माह में भगवान शंकर के सबसे बड़े धाम में शिव भक्तों का एक अलग ही उत्साह और उमंग देखा जाता है. काशी में जगह-जगह अनेकों शिवलिंग है. काशी विश्वनाथ की महीमा निराली है, मान्यता है कि यहां जिसकी मृत्यु होती है वह मोक्ष को प्राप्त होता है.