सावन की विनायक चतुर्थी आज, जानें क्यों खास है यह व्रत ?

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इन दिनों सावन का पवित्र महीना चल रहा है, ऐसे में सावन की विनायक चतुर्थी का व्रत आज यानी 8 अगस्त को रखा जा रहा है. पंचांग के अनुसार, चतुर्थी का व्रत भी हर माह प्रदोष व्रत की तरह दो बार किया जाता है. एक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर और दूसरा कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा जाता है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. दोनों चतुर्थी में गणेश भगवान की पूजा की जाती है.

जैसे त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है, वैसे ही विनायक चतुर्थी पर गणेशजी को पूजा जाता है. गणेश जी को सावन विनायक चतुर्थी के दिन पूजा करने से श्री गणेश की कृपा बनी रहती है और उनका आशीर्वाद मिलता है. साथ ही अच्छे काम में बाधा भी दूर होती है. विनायक चतुर्थी व्रत में कहानी सुनना और पढ़ना बहुत महत्वपूर्ण है. कथा सुनने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, फिर भले ही आप चतुर्थी तिथि का व्रत न करें. ऐसे में आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी व्रत की कथा…

विनायक चतुर्थी की व्रत कथा

विनायक चतुर्थी को लेकर एक पौराणिक कथा है कि, एक बार शिव और मां पार्वती नर्मदा नदी के पास बैठकर चौपड़ खेल रहे थे, तभी उनके मन में एक सवाल आया कि, इस खेल की हार और जीत का निर्णय कैसे होगा ? इस बात का फैसला करने के लिए उन्होने कुछ तिनके इकट्ठे किए और एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए. जिसके बाद उस पुतले से जीवित हुए बालक से उन्होने कहा कि, हमारे इस चौपड़ खेल में आपको जीत या हार का फैसला तुम्हें करना है. ऐसे में चौपड़ का खेल तीन बार खेला गया और हर बार माता पार्वती चौपड़ के खेल में जीत गयी, लेकिन जब उसे बालक से चुनाव करने को कहा गया, तो वह माता पार्वती की जगह भगवान शिव को विजयी बताया.

बालक के गलत निर्णय पर माता पार्वती क्रोधित हो गयी और क्रोध में आकर उन्होने बच्चे को विकलांग यानी अपाहिज का श्राप दें डाला. इस श्राप से घबराएं बालक ने अपनी गलती को स्वीकारते हुए माता पार्वती से माफी मांगी और यह श्राप वापस लेनी की विनती करते हुए कहा कि, जो भी हुआ वह भूलवस हुआ है, माता कृपया यह श्राप वापस ले लीजिए. माता पार्वती ने इस पर कहा कि, श्राप को वापस नहीं लिया जा सकता, लेकिन इसका एक समाधान है. माता पार्वती ने कहा कि, कुछ नागकन्या यहां श्री गणेश की पूजा करने आएंगी, उनके कहने पर व्रत करना, जिससे आप इस श्राप से मुक्त हो जाएंगे.

नागकन्याओं के कहने पर बालक ने रखें थे 21 व्रत

बालक वर्षों तक श्राप से पीड़ित रहा, फिर कुछ नागकन्या वहां आईं. तब बालक ने उनसे श्राप से बचने के लिए व्रत की विधि पूछी, तो वे गणेश जी के व्रत की विधि के बारे में उसे बताया, फिर उस बालक ने पूरी श्रद्धा से भगवान श्री गणेश का व्रत और पूजन 21 दिनों तक किया. उस बालक की श्रद्धा देखकर भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उससे वरदान मांगे. बालक ने भगवान गणेश से विनती की कि, हे विनायक, मुझे इतनी शक्ति दें कि मैं अपने पैरों से कैलाश पर्वत पर जा सकूँ और इस दंड से छुटकारा पा सकूँ. बालक को भगवान गणेश ने आशीर्वाद दिया और अंतर्ध्यान हो गए.

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बालक को श्राप से मिली मु्क्ति

इसके बाद बालक ने कैलाश पर्वत पर भगवान महादेव को शाप से छुटकारा मिलने की कहानी सुनाई. चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती भगवान शिव से नाराज़ थीं. बालक ने बताया कि, भगवान शिव ने भी 21 दिनों तक भगवान गणेश का व्रत रखा था. माता पार्वती ने इस व्रत से महादेव को प्रसन्न किया. मान्यता है कि सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा और आराधना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं. साथ ही कहानियां सुनने और पढ़ने से जीवन में आने वाले सभी अवरोध दूर हो जाते हैं.

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