अयोध्या: सीएम योगी ने किया ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास की मूर्ति का अनावरण

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अयोध्याः सीएम योगी ने आज दिगंबर अखाड़ा में श्रीराम जन्मभूमि न्यास के पूर्व अध्यक्ष ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास की 21वीं पुण्यतिथि पर उनकी मूर्ति का अनावरण किया. सीएम ने यहां पूजन-अर्चन व पौधरोपण भी किया. इसके पश्चात सीएम ने साधु-संतों संग भंडारे में प्रसाद भी ग्रहण किया.

ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास ने रामजन्मभूमि आंदोलन को जीवन का मिशन बनाया

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के परम भक्त पूज्य ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास का पूरा जीवन रामजन्मभूमि के लिए समर्पित रहा. उन्होंने इस आंदोलन को जीवन का मिशन बनाया. संतों का संकल्प एक साथ एक स्वर में बढ़ा तो अयोध्या में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ. मेरा सौभाग्य है कि 21वर्ष बाद ही सही, उनकी प्रतिमा के स्थापना का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है.

गोरक्षपीठ व दिगंबर अखाड़ा एक दूसरे के पूरक बनकर करते थे कार्य

सीएम योगी ने कहा कि गोरक्षपीठ गोरखपुर और दिगंबर अखाड़ा अयोध्या 1940 के दशक से एक दूसरे के पूरक बनकर कार्य करते थे. जब रामचंद्र दास महराज बचपन में अयोध्या धाम आए थे, तबसे उनका लगाव गोरक्षपीठ से था. तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ के सानिध्य में रहकर रामजन्मभूमि आंदोलन आगे बढ़ा. 1949 में रामलला के प्रकटीकरण के साथ ही तत्कालीन सरकार द्वारा प्रतिमा को हटाने की चेष्टा के खिलाफ न्यायालय में जाने और वहां से सड़क तक इस लड़ाई को बढ़ाने का कार्य गोरक्षपीठ व पूज्य संत परमहंस रामचंद्र दास जी महराज ने मिलकर किया.

संतों ने बातचीत से समस्या का हाल निकालने का भी किया था प्रयास

सीएम योगी ने कहा कि जिस रामजन्मभूमि के बारे में लोग कहते थे कि अगर फैसला राम मंदिर के पक्ष में हुआ तो सड़कों पर खून की नदियां बहेंगी. संतों ने बातचीत से समस्या का हल निकालने का भरपूर प्रयास किया. दूसरी ओर जब बातचीत के रास्ते समाप्त हो गए और सरकार की हठधर्मिता आड़े आने लगी तो पूज्य संतों ने लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष का रास्ता चुना.

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स्मरणीय बन गई पांच अगस्त और 22 जनवरी की तिथि

सीएम योगी ने कहा कि 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में पीएम मोदी ने अयोध्या में उच्चतम न्यायालय के आदेश के क्रम में भव्य मंदिर निर्माण कार्य का शिलान्यास व भूमि पूजन किया. 22 जनवरी 2024 को रामलला फिर से अयोध्या धाम में विराजमान हुए. यह तिथियां न केवल सनातन धर्मावलंबियों के लिए स्मरणीय बन गई.

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गुरु के तुल्य थे परमहंस रामचंद्र दास जी महराज

सीएम ने कहा कि परमहंस रामचंद्र दास जी महराज मेरे पूज्य गुरु के तुल्य थे. गोरखपुर से अयोध्या, लखनऊ और प्रयागराज जाते समय गुरु जी मुझसे पूछते थे कि अयोध्या के दिगंबर अखाड़ा गए थे, परमहंस जी का हालचाल लिया. मैं यदि भूल गया तो वे मुझे डांटते भी थे. कहते थे वह मेरे लिए गुरु भाई हैं. जब भी इस रास्ते जाता था तो मुझे पता था कि मेरे गुरुदेव पूछेंगे कि परमहंस जी की तबीयत कैसी है, मेरे पास जवाब नहीं होता था, इसलिए पहले मैं उनके पास पहुंचकर हालचाल लेता था. वह अपने दरवाजे पर बैठकर मस्ती के साथ लोगों से बातचीत करते थे.

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