वक्फ संशोधन के लिए आज पेश होगा संसद में बिल, जानें क्या है वक्फ एक्ट ?…
नई दिल्ली: केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड में बड़े बदलाव की तैयारी में है. इसी को लेकर आज लोकसभा में बिल पेश किये जाने की तैयारी है. कहा जा रहा है कि मोदी सरकार वक़्फ़ बोर्ड अधिनियम संसोधन बिल 2024 के तहत सरकार इसमें 44 संशोधन करने जा रही है. सरकार कानून से सेक्शन 40 ख़त्म करने जा रही है जो सबसे बड़ा बदलाव बताया जा रहा है. इस कानून में किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की जमीन घोषित करने का अधिकार था.
सरकार क्या करने जा रही बदलाव…
बता दें कि सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम का नाम बदलकर एकीकृत वक़्फ़ प्रबंधन, सशक्तिकरण दक्षता और विकास अधिनियम 1995 करने जा रही है. कहा जा रहा है कि इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग, शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. इस कानून में महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. कहा जा रहा है कि कानून में बदलाव के बाद केंद्रीय परिषद् और राज्य वक्फ बोर्ड में महिलाओं को हिस्सेदारी मिलेगी.
बोहरा और आगाखानियों के लिए बनेगा अलग बोर्ड…
कहा जा रहा है कि इस नए कानून में संशोधन होने के बाद बोहरा और आगाखानियों के लिए नए बोर्ड की स्थापना के लिए प्रावधान किया गया है. वक्फ परिषद् में केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन नुमाइंदे,मुस्लिन कानून के तीन जानकार, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व जज और सुप्रसिद्ध वकील, राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चार लोग और भारत सरकार के अतिरिक्त या संयुक्त सचिव आदि होंगे.
जिला कलेक्टरों को मिलेंगी शक्तियां…
नए विधेयक में कहा गया है कि वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वे कमिश्नर का अधिकार कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा नामित डिप्टी कलेक्टर को होगा. नए विधेयक में जिला कलेक्टर को शामिल किया गया है. और इस पद को वक़्फ़ अधिनियम से सम्बंधित विवादों को सुलझाने के लिए कुछ शक्तियां दी गई है. नए विधेयक में जिला कलेक्टरों को सरकार और वक़्फ़ बोर्ड के बीच विवादों को निपटाने का अधिकार दिया गया है.
क्या है वक्फ ?…
वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. इसी से बना वक्फ. वक्फ एक ऐसी संपत्ति होती है, जो जन-कल्याण को समर्पित हो. इस्लाम के मुताबिक Waqf दान का ही एक तरीका है. देने वाला, चल या अचल संपत्ति दान कर सकता है. माने एक साइकिल से लेकर एक बहुमंज़िला इमारत, कुछ भी वक्फ हो सकता है, बशर्ते वो जनकल्याण के मकसद से दान कर दिया गया हो.
ऐसे दानदाता को कहा जाता है ‘वाकिफ’. वाकिफ ये तय कर सकता है कि जो दान दिया गया है, मिसाल के लिए इमारत, उसका या उससे होने वाली आमदनी का इस्तेमाल कैसे होगा. उदाहरण के लिए कोई वाकिफ ये कह सकता है कि अमुक वक्फ से होने वाली कमाई गरीबों पर ही खर्च होगी.
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भारत में कब बना Waqf Board?…
कहा जाता है कि देश की आजादी के बाद पसरी वक्फ संपत्तियों के लिए एक स्ट्रक्चर बनाने की बात हुई. इसके बाद साल 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 पास किया. इसी के नतीजे में वक्फ बोर्ड बना. ये एक ट्रस्ट था, जिसके तहत सारी वक्फ संपत्तियां आ गईं. 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में संशोधन कर राज्यों के लेवल पर वक़्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया.
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इसके बाद साल 1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट आया. और 2013 में इसमें संशोधन किये गए. फिलहाल जो व्यवस्था है, वो इन्हीं कानूनों और संशोधनों के तहत चल रही है. प्रायः मुस्लिम धर्मस्थल वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत ही आते हैं.