कामिका एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त और आज की विशेष कथा…
बुधवार यानी आज कामिका एकादशी का व्रत रखा जा रहा है, सनातन धर्म में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि बहुत खास महत्व होता है. इस एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. वही सावन के महीने में पड़ने वाली पहली एकादशी को कामिका एकादशी के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना की जाती है, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि इस एकादशी के दिन जो लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें पुण्य मिलता है.
शुभ मुहूर्त
कामिका एकादशी की तिथि 30 जुलाई कल शाम 4 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 31 जुलाई, आज दिन में 3 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी. 1 अगस्त को कामिका एकादशी का पारण सुबह 5 बजकर 43 मिनट से 8 बजकर 24 मिनट तक चलेगा.
पूजन विधि
कामिका एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लें. फिर भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाकर व्रत रखें. इसके बाद गंगाजल से एक चौकी को साफ करें और पीला कपड़ा इस पर बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को उस पर रखें. फिर गंगाजल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें और भगवान को प्रिय तुलसी की पत्ती के साथ फल, केला, आम, पीले फूल, पंचामृत और भोग में जरूर रखें. इसके बाद कामिका व्रतकथा पढ़ें और फिर भगवान विष्णु की आरती करें. व्रत वाले दिन पूरी रात भगवान विष्णु की पूजा करें और एकादशी के अगले दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर, दक्षिणा देकर विदा करें, फिर पारण मुहूर्त में खुद भोजन करें.
कामिका एकादशी की कथा
एक पौराणिक कथा में बताया जाता है कि, एक गांव में एक ठाकुर रहा करता था, जो दिल का काफी नेक था. लेकिन उसका स्वभाव काफी क्रोध करता था. ऐसे में उसे हर छोटी बात पर गुस्सा आ जाता था, जिसकी वजह उसका किसी न किसी से झगड़ा व मारपीट हो जाती थी. ठाकुर ने एक ब्राह्मण से इसी तरह लड़ाई की। नाराज ठाकुर ने हाथापाई के दौरान एक ब्राह्मण को मार डाला. ठाकुर को ब्रह्महत्या का दोष लगाया गया. जब ठाकुर ने अपनी गलती का एहसास हुआ और इसका प्रायश्चित करने के लिए ब्राह्मण के दाह संस्कार में शामिल होना चाहा, तो पंडितों ने उसे मना कर दिया. ब्राह्मणों ने ठाकुर को ब्राह्मणों की हत्या का दोषी ठहराया, इसलिए उसे धार्मिक और सामाजिक कामों को नहीं किया जाता है.
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इन सभी कारणों से परेशान होकर ठाकुर ने ब्राह्मणों से कहा कि कोई उपाय बताएं जिससे वे इस दोष से छुटकारा पा सकें, तब ब्राह्मणों ने ठाकुर को कामिका एकादशी व्रत की जानकारी दी. ठाकुर ने सावन माह की कामिका एकादशी पर पूरी तरह से व्रत रखा. ठाकुर ने एक दिन नींद में भगवान श्री हरि विष्णु को देखा. ठाकुर ने भगवान विष्णु से कहा कि, उसे इस पाप से छुटकारा मिल गया है. इस घटना के बाद से ही कामिका एकादशी का व्रत रखा जाता है.