शिवपाल नहीं लाल बिहारी यादव को अखिलेश ने बनाया नेता प्रतिपक्ष

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यूपी: उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव से पहले अखिलेश यादव ने बड़ा दांव खेला है. प्रदेश में अखिलेश के कन्नौज से संसद बनने के बाद लंबे समय से लगाए जा रहे कयास के बीच लगी अटकलों पर अब विराम लग चुका है. सपा के लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है. अखिलेश यादव ने विधानसभा के लिए चाचा शिवपाल सिंह यादव पर भी भरोसा नहीं जताया है.

नेता प्रतिपक्ष बने बिहारी लाल यादव…

बता दें कि आज अखिलेश यादव के निर्देश के बाद बिहारी लाल यादव नेता प्रतिपक्ष जबकि मो. जासमीर अंसारी उप नेता बनाया गया है. वहीं, अखिलेश ने आशुतोष सिन्हा को विधान परिषद् का सचेतक नियुक्त किया है तो मुख्य सचेतक के लिए किरनपाल कश्यप का नाम फाइनल किया है.

कौन हैं लाल बिहारी यादव

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए लाल बिहारी यादव आजमगढ़ से ताल्लुख रखते हैं. उनका जन्म 1 जुलाई 1960 को आजमगढ़ के विशुनपुर में हुआ था. लाल बिहारी एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से आते हैं. लाल बिहारी यादव 2020 में हुए वाराणसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर एमएलसी बने थे. शिक्षकों के हितों और उनके अधिकारियों की लड़ाई लड़ने वाले लाल बिहारी यादव यूपी माध्यमिक शिक्षक संघ वित्तविहीन गुट के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. शिक्षकों के हितों की आवाज उठाने के लिए उनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं. वे कई बार जेल भी जा चुके हैं.

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चौथी बार में बने एमएलसी

लाल बिहारी यादव ने वित्तविहीन शिक्षकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए साल 2004 में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (वित्तविहीन गुट) का गठन किया था. तब से शिक्षकों की लगातार आवाज उठा रहे हैं. मिल रही जानकारी के मुताबिक उन्होंने 2007 और 2013 में गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक निर्वाचन खंड और 2017 में इलाहाबाद-झांसी शिक्षक निर्वाचन खंड से MLC का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. 2020 में सपा का साथ मिलने के बाद चौथी बार में MLC बनने का सपना पूरा हुआ था. उन्होंने पीएम मोदी के गढ़ में जीत दर्ज की थी. वहीं विधान परिषद का नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर लाल बिहारी यादव ने सपा मुखिया अखिलेश यादव का आभार व्यक्त किया है.

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