भूपेंद्र चौधरी ने ली हार की जिम्मेदारी… मोदी से मिलने पहुंचे शाह…
यूपी: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से आये नतीजों के बाद आया भूचाल अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. वहीँ, अब प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने हार की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में जो नतीजे उत्तर प्रदेश से आए हैं वह उनकी आशा के अनुरूप नहीं थे. वे इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं. उनका यह बयान जहाँ चर्चा में आया तो वहीँ शाह तुरंत पीएम मोदी से मिलने के लिए उनके आवास पर पहुंचे. अगर दोनों घटनाओं को जोड़कर देखा जाये तो यूपी में कुछ बड़ा होने वाला है.
यूपी में कुछ बड़ा होगा क्या?…
बता दें कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद यूपी भाजपा में कुछ सही नहीं चल रहा है. वहीँ योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या के बीच की अनबन पूरे प्रदेश में आग की तरह फ़ैल चुकी है. वहीँ दोनों तरफ से ऐसी कुछ बयानबाजी हुई है जिससे यह साफ़ हो चूका है कि दोनों के रिश्तों के बीच कुछ सही नहीं चल रहा है. इसके बाद भाजपा को यूपी ने लोकसभा में काफी चिंतित और नाराज कर दिया है. माना जा रहा है कि संगठन में कोई बड़ा बदलाव किया जा सकता है.
शाह पहुंचे मोदी के पास…
अब यूपी में होने वाले परिवर्तन के बीच शाह मोदी से मिलने उनके आवास पहुँच गए हैं. लेकिन इस मुलाकात को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है. वहीँ यूपी की राजनीति में पकड़ रखने वाले बता रहे हैं कि जल्द ही कोई बड़ा फैसला होने वाला है. इससे पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी केशव और भूपेंद्र चौधरी से एक – एक घंटे बातकर यूपी का तापमान बढा दिया है.
इस्तीफा दे सकते हैं प्रदेश अध्यक्ष…
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी अपने पद से इस्तीफ़ा दे सकते हैं. उनकी जगह किसी नए चेहरे या फिर किसी दलित समुदाय से आने वाले नेता को इसकी जिम्मेदारी दी जा सकती है जिससे की आगामी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में दलित वोटबैंक को भाजपा के पाले में ला सकें.
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योगी और केशव में खटपट क्यों…
बता दें कि राजधानी लखनऊ में हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में योगी के सामने केशव ने कहा कि संगठन से बड़ी सरकार नहीं है. वहीँ, योगी ने अति आतंविश्वास को हार का जिम्मेदार बताया. इसके बाद से केशव की राहें अलग हो गई और दिल्ली में बड़े नेताओं के साथ बैठक करने लगे और दूसरी तरफ योगी भी नेताओं से बातचीत करने लगे. लेकिन दोनों में किसकी बात हाईकमान को समझ आती है इसके बाद ही कुछ फैसला होगा.