वाराणसी: मृतक आश्रित कोटे में भर्ती हुआ दरोगा (लिपिक) राजकिशोर मृतक आश्रितों को ही नियुक्ति के लिए ऑफिस का चक्कर लगवा रहा था. पिछले छह महीनों में 9 फाइलों को दबा रखा था, इस कारण परेशान होकर मृतक आश्रित अधिकारियों के यहां फेरा लगा रहे थे. मामला संज्ञान में आने पर बुधवार को पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने दरोगा को निलंबित करते हुए विभागीय जांच के निर्देश दिए हैं.
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मृतक आरक्षी की पत्नी ने की शिकायत
जानकारी के अनुसार मृतक आरक्षी हेमंत कुमार की पत्नी मृतक आश्रित आवेदिका ने पुलिस कमिश्नर से मिलकर पिछले 6 माह से अपनी मृतक आश्रित भर्ती से संबंधित फाइल के लिये दरोगा (लिपिक) राजकिशोर के पास चक्कर लगाने की शिकायत की. बताया कि उसकी पत्रावली की सभी आवश्यतकताएं पूर्ण हो गयी हैं लेकिन दरोगा (लिपिक) राजकिशोर उसे आगे प्रेषित नही कर रहे हैं.
शिकायत के बाद पुलिस कमिश्नर ने मृतक आश्रित स्व. आरक्षी हेमन्त कुमार की पत्रावली को मंगाकर अवलोकन किया गया तो पाया गया कि मामले में सभी कार्यवाही दिसंबर 2023 को पूर्ण हो चुकी थी और डीसीपी मुख्यालय ने भी संस्तुति सहित अपना हस्ताक्षर कर दिया था.
नौ फाइलें रखा था दबाकर
इसके बाबजूद लिपिक ने पिछले 6 माह से पत्रावली पुलिस मुख्यालय लखनऊ प्रेषित नहीं किया था. जिसके बाद पुलिस कमिश्नर के तेवर सख्तथ हो गये और तत्काल दरोगा (लिपिक) राजकिशोर के पास मृतक आश्रित सेवायोजन से संबंधित सभी पत्रावलियों की समीक्षा की, जिसमें पाया गया कि 9 पत्रावलियां लंबित है जिसे दबाकर रखा गया था.
पुलिस कमिश्नर ने तत्काल सभी लंबित 9 पत्रावलियों को एक सहायक पुलिस आयुक्त के पर्यवेक्षण मे यूपी पुलिस मुख्यालय लखनऊ प्रेषित कराया गया. पुलिस आयुक्त ने पुलिस कार्यालय मे नियुक्त सभी लिपिकों को कड़े निर्देश देते हुए सचेत किया कि उनके पास पुलिस कर्मियों के कल्याण से संबंधित कोई (जैसे-मेडिकल, यात्रा भत्ता, स्थानान्तरण भत्ता, पेंशन आदि) भी पत्रावली बेवजह लंबित पाए जाने पर उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जायेगी.