काशी के बाबू शिव प्रसाद गुप्त को भारत रत्न देने की उठी मांग, क्या बनेंगे काशी के नौवें रत्न?

0

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के संस्थापक बाबू शिव प्रसाद गुप्त को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग उठी है. शुक्रवार को उनकी जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने यह मांग करते हुए कहा कि काशी विद्यापीठ देश का पहला स्ववित्तपोषित विश्वविद्यालय है. विद्यापीठ से पहले काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हो चुकी थी, लेकिन सरकारी सहायता प्राप्त होने के कारण वहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दाखिला नहीं मिलता था. इस वजह से बाबू शिव प्रसाद ने विद्यापीठ की स्थापना की थी. उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए.

Also Read : दान, शिक्षा, पत्रकारिता और क्रांति की अलख जगाते रहे बाबू शिवप्रसाद गुप्त

अपनी संपत्ति का आधा हिस्सा विश्वविद्यालय को कर दिया था दान

बाबू शिव प्रसाद गुप्त की जयंती पर समिति कक्ष में काशी विद्यापीठ और अखिल भारतीय राष्ट्रीय वैश्य महासभा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में कुलपति आनंद त्यागी ने कहाकि बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने अपनी संपत्ति का आधा हिस्सा विश्वविद्यालय को दान कर दिया था. वहीं 15 लाख रुपये की एफडी भी कराई, जिससे शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन मिल सके.

प्रमुख समाचार पत्र ‘आज’ की भी की थी स्थापना

समारोह के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय राष्ट्रीय वैश्य समाज के संयोजक योगेश कुमार गुप्ता के अनुसार बाबू शिव प्रसाद गुप्त में प्रबल इच्छाशक्ति थी, इसके फलस्वरूप आज हम विद्यापीठ का यह स्वरूप को देख रहे हैं. इसके अलावा, वह हिंदी भाषा के प्रबल समर्थक थे. उन्होंने पत्रकारिता में भी अहम योगदान दिया और ‘आज’ समाचार पत्र की स्थापना की. उन्होंने मांग की कि उनके जन्म दिवस 28 जून को राष्ट्रीय सेवा दिवस के रूप में घोषित किया जाय. संगोष्ठी का संचालन प्रो. केके सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रविंद्र गौतम ने किया. इस मौके पर विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी संतोष कुमार शर्मा, प्रो. पीतांबर दास, प्रो. एमएम वर्मा, जनसंपर्क अधिकारी डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह, डॉ. एसएन सिंह और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.

काशी विद्यापीठ एक राष्ट्रीय धरोहर

काशी विद्यापीठ के शिक्षाशास्त्र विभाग में भी शिव प्रसाद गुप्त की 141वीं जयंती मनाई गई. इस मौके पर विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र राम ने कहा कि विद्यापीठ राष्ट्रीय धरोहर है, जिसे बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने अपने स्वर्गीय भाई हर प्रसाद गुप्त की संपत्तियां दान कर स्थापित किया था. इसके अलावा उन्होंने भारत माता मंदिर की भी स्थापना की थी जिसमें संगमरमर के पत्थर पर भारत के नक्शे की नक्काशी की गई है. संगमरमर से बने इस नक्शे में माउंट एवरेस्ट से लेकर समुद्र की गहराई को ध्यान में रखकर निर्माण किया गया है.

काशी के 8 रत्नों को मिल चुका है देश का सर्वाेच्च पुरस्कार

बता दें कि काशी के 8 लोगों को अभी तक भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है. अगर बाबू शिवप्रसाद गुप्त को भारत रत्न से नवाजा जाता है तो वह काशी 9वें रत्न होंगे जिन्हें देश का सर्वाेच्च पुरस्कार प्राप्त होगा. अब तक काशी विद्यापीठ के कुलपति रह चुके भगवान दास, पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री, पंडित रविशंकर, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, मदन मोहन मालवीय, सीएनआर राव और भूपेन हजारिका को भारत रत्न से नवाजा जा चुका है. वहीं भगवान दास काशी, विद्यापीठ विश्वविद्यालय के पहले कुलपति भी थे. शिवप्रसाद गुप्त ने महात्मा गांधी के कहने पर उन्हें विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार संभालने की जिम्मेदारी दी थी. जबकि उसी काशी विद्यपीठ के संस्थापक और आजादी के आंदोलन में अहम योगदान करनेवाले बाबू शिवप्रसाद गुप्त को यह सम्मान नही दिया जा सका है.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More