पीड़ित को ही डरा-धमका कर ली 6 हजार की वसूली, दो कांस्टेबल गिरफ्तार

आजमगढ़ के भुक्तभोगी ने जमीन विवाद मामले में विपक्षी के खिलाफ पुलिस कार्यालय में की थी शिकायत

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पुलिसिया सिस्टम को तमाम सुधारने की कोशिशों के बावजूद खाकी पर दाग लगानेवाले महकमे में आ ही जाते हैं. आयेदिन यूपी के थानों और उससे जुड़े पुलिसकर्मियों की करतूतें समाने आ ही जाती है जिससे विभाग की छवि पर असर पड़ता है. जब न्याय की उम्मीद लेकर पुलिस अधिकारी के कार्यालय जानेवाले व्यक्ति को ही डरा-घमका कर उससे वसूली की जाय तो पुलिस की साख गिरेगी ही. ऐसा ही एक मामला शुक्रवार को आजमगढ़ जिले से सामने आया. जमीन विवाद के मामले में आजमगढ़ के एसपी कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगानेवाले पीड़ित को ही दो आरक्षी डराने और धमकाने लगे. उससे 6 हजार रूपये भी वसूल लिये. बाद में हिम्मत कर भुक्तभोगी ने इसकी लिखित शिकायत की तो पुलिसकर्मियों को अपने ही महकमे के दो आरक्षियों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेजना पड़ा.

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वसूली में पकड़े गये आरक्षियों में अजीत कुमार यादव वाराणसी जिले के चोलापुर थाना क्षेत्र के टेकारी गांव का और दूसरा आरक्षी सत्यदेव पाल जौनपुर जिले के सुरेरी थाना क्षेत्र के अडियार गांव का निवासी है. इन्हें निजामाबाद थाने की पुलिस ने रानी की सराय निजामाबाद रेलवे क्रासिंग के पास से गिरफ्तार किया. इन दोनों कांस्टेबिलों की हालत यह थी कि कभी मुल्जिम पकड़कर उसके बगल में खड़े होकर गुडवर्क दिखानेवाले आज अपने ही महकमे के लोगों के ‘गुडवर्क‘ बन गये. बाकायदा आरोपितों की तरह उन्हें खड़ा कर उनकी तस्वीरें खिचवाई गई और गिरफ्तार करनेवाले पुलिसवाले बगल में खड़े रहे. मजे की बात कि यह दोनों उस थाने में तैनात भी नही थे. इनकी तैनाती पुलिस कार्यालयों में थी. इसके बावजूद दोनों वसूली कर चुके थे.

यह है पूरा मामला

निजामाबाद थाना क्षेत्र के हुसामपुर बड़ागांव निवासी कैलाश प्रजापति ने थाने में 20 जून को जमीन विवाद से सम्बंधित तहरीर दिया. आरोप लगाया उसने 28 मार्च को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अपने विपक्षी से जमीनी विवाद के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया था. अगले दिन दो सिपाही वर्दी में उसके घर पर आए. बोले कि तुम जो प्रार्थना पत्र दिए हो उसी की जांच में हम आए हैं. एक के नेम प्लेट पर अजीत कुमार यादव व दूसरे के नेम प्लेट पर सत्यदेव पाल लिखा था. इसके बाद कैलाश प्रजापति से कहाकि यदि विपक्षी के खिलाफ मुकदमा लिखवाना है तो तुम्हे ज्यादा पैसे देने होंगे. उसने आनाकानी की तो उल्टे उसी को मुकदमे मेें फंसाने और गिरफ्तारी की धमकी देने लगे. आखिरकार कैलाश को डरा-धमका कर आरक्षियों ने 6 हजार रूपये वसूल लिये. जब इसकी जानकारी कैलाश के परिचितों को हुई तो उन्होंने उसका साथ दिया और इसके बाद पीड़ित ने अधिकारियों से शिकायत के साथ ही थाने में आरक्षियों के खिलाफ नामजद तहरीर दे दी. पुलिस को आरक्षी अजीत कुमार यादव और सत्यदेव पाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच करनी पड़ी. जांच में आरोप सही पाया गया. इसके बाद पुलिस ने दोनों के गिरफ्तार कर जेल भेजा. बताया जाता है कि आरक्षी अजीत कुमार यादव एफआईआर सेल पुलिस कार्यालय आजमगढ़ में और सत्यदेव पाल शिकायत प्रकोष्ठ पुलिस कार्यालय मऊ में नियुक्त है.

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