बदलते परिवेश में जैविक सब्जियों की खेती …
आईआईवीआर स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के वाराणसी चैप्टर ने किसानों को किया जागरूक
वाराणसी, मिर्ज़ापुर एवं सोनभद्र जिलों के 14 एफपीओ औरं 25 से अधिक किसान हुुए शामिल
वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी चैप्टर की ओर से जागरूकता कार्यक्रम श्रृंखला के तहत किसानों के लिए गुरूवार को एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (नास) के वाराणसी चैप्टर ने वाराणसी, मिर्ज़ापुर एवं सोनभद्र जिलों के के 14 एफपीओ औरं 25 से अधिक किसानों को बदलते परिवेश में सब्जियों की खेती के महत्व और तकनीकों के बारे में बताया गया. इस पहल का उद्देश्य किसानों को आधुनिक खेती की विधियों से अवगत कराना और उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान करना है, ताकि वे बदलते मौसम और बाजार की मांग के अनुसार अपनी खेती को अनुकूलित कर सकें. इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने किसानों को नई कृषि तकनीकों, जैविक खेती, जल प्रबंधन और कीट प्रबंधन के उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. साथ ही, उन्हें बाजार की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं के बारे में भी बताया, ताकि वे अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के साथ बेहतर लाभ कमा सकें.
भोजन में फल वाली, पत्तेदार और जड़वाली सब्जियों को करें शामिल
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी, वाराणसी चैप्टर के संयोजक एवं भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, के कार्यकारी निदेशक डॉ. नागेंद्र राय ने अकादमी की प्रमुख गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने किसानों से अनुरोध किया कि वे अपने भोजन में फल वाली, पत्तेदार और जड़ वाली सभी प्रकार की सब्जियों को शामिल करें. उन्होंने कृषि क्षेत्र में हो रही नई खोजों और उनके दैनिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में भी बताया. डा. नागेंद्र राय ने उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों की प्रजातियों के बीज भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान से लेने और उनका अधिक से अधिक प्रयोग कर गुणवत्तायुक्त उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर दिया. उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित जलवायु सहिष्णु सब्जी फसलों और उनकी उच्च गुणवत्ता युक्त प्रजातियों के बारे में भी बताया.
पंखिया सेम की प्रजाति काशी अन्नपूर्णा की वैज्ञानिक खेती के बारे में बताया
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. डी. आर. भारद्वाज ने फसल विविधीकरण द्वारा कृषि क्षेत्र में अधिक से अधिक सब्जियों को उगाने और बाजार में अच्छे उत्पाद बेचने के तरीके बताए. कार्यशाला में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी-वाराणसी चैप्टर के कोषाध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार दुबे ने जलवायु सहिष्णु अल्पदोहित सब्जी की फसलों जैसे कलमी साग प्रजाति काशी मनु जिसकी खेती जलमग्न दशा, सामान्य खेतों एवं शुष्क क्षेत्रों में वर्ष पर्यंत खेती करने औरं गुणवक्तायुक्त उत्पादन की जानकारी दी.
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इसके अलावा संस्थान की ओर से विकसित पंखिया सेम की प्रजाति काशी अन्नपूर्णा की वैज्ञानिक खेती करने के साथ अन्य अल्पदोहित सब्जी की खेती के बारे में बताया. कार्यक्रम के दौरान किसानों ने अपनी समस्याओं और चुनौतियों को साझा किया और विशेषज्ञों ने चुनौतियों से निपटने के बारे में बताया. जागरूकता अभियान का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है ताकि वे बदलते पर्यावरणीय और आर्थिक परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक खेती कर सकें. कार्यक्रम में इंदीवर प्रसाद, मनीष सिंह, शिवम सिंह, प्रदीप पाण्डेय और समर सिंह आदि रहे.