फ्लाईओवर के नीचे अवैध पर्ची पर हो रही थी वसूली, एफआईआर दर्ज

कैंट स्टेशन के पास इंग्लिशिया लाईन का मामला, नगर आयुक्त की जांच तो खुल गया मामला

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वाराणसी के कैंट स्टेशन के पास इंग्लिशिया लाईन फ्लाईओवर के नीचे आटो और ई-रिक्शा चालकों से अवैध पर्ची पर वसूली का मामला सही निकला. इस मामले में नगर आयुक्त के निर्देश पर ठेकेदार समेत फर्म के तीन संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. इसके साथ ही ठेकेदार रमाशंकर की फर्म को ब्लेक लिस्टेड कर दिया गया है. हालांकि यह शिकायत काफी पहले से की जा रही थी. इसके लिए ठेकेदार को चेतावनियां भी दी गई थी लेकिन वह मनमानी कर रहा था. बताया जाता है कि ठेकेदार की संस्था मेसर्स कृष्णा इंजीनियरिंग कारपोरेशन की जमानत राशि भी जब्त कर ली गई है.

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जानकारी के मुताबिक फ्लाईओवर के नीचे स्टैड के लिए जिस ठेकेदार की फर्म से अनुबंध हुआ था उसके मुताबिक उसे ई-पास मशीन से शुल्क लेना था. लेकिन ठेकेदार अवैध पर्ची से वसूली कर और करा रहा था.

दो बार जारी हो चुकी थी नोटिस फिर भी नही हुआ सुधार

आटो और ई-रिक्शा चालक इसकी शिकायत करते रहे लेकिन गंभीरता से नही लिया जा रहा था. ठेकेदार को इस मामले में दो नोटिसें भी जारी की गईं लेकिन उसने अपने कार्य में कोई सुधार नही किया. बताया जाता है कि सत्ता के लोगों तक पहुंच के कारण ठेकेदार अधिकारियों की बात को अनसुनी करता रहा. बाद में इस शिकायत की जांच खुद नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने किया और आरोप सही पाया. मामले की जांच प्रभारी राजस्व अनिल यादव को सौंपी गई थी. अनिल यादव की रिपोर्ट मिलने के बाद नगर आयुक्त ने यह कार्रवाई की. मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार अनुबंध की शर्तों का लगातार उल्लंघन कर रहा था. इसके अलावा आटो चालकों को धमकियां दी जाती थीं और उनका उत्पीड़न किया जाता रहा.

लगाया गया था जुर्माना लेकिन नही जमा की राशि

इससे पहले ठेकेदार के खिलाफ शिकायत मिलने पर नगर आयुक्त ने 50 हजार रूपये जुर्माना भी लगाया था. लेकिन ठेकेदार ने जुर्माने की राशि जमा नही की थी. बता दें कि शहर के कुछ और प्रमुख चौराहों और स्थानों पर वाहन चालकों से अवैध वसूली की शिकायतें होती रही हैं. पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने भी कैंट क्षेत्र में अवैध स्टैंड की शिकायत की थी. यह मामला भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. लेकिन सत्ता में पकड़ के कारण दबंगई से यह कार्य जारी हैं. ऐसा नही कि यह प्रशासन के संज्ञान में नही है. लेकिन इसे नजरअंदाज किया जाता है. आम आदमी अवैध वसूली का शिकार होता है और अधिकतर लोग दबंगों के खिलाफ शिकायत भी नही करते.

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