हवाई यात्रा के दौरान गलती से भी न करें ये काम, वरना हो सकते हैं बहुत बीमार…

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हवाई जहाज में सफर करना किसे नहीं पसंद आता है, हर किसी को ऊंचाई पर एयरोप्लेन की विंडो सीट से शानदार नजारे देखना काफी दिलचस्प लगता है. वहीं कुछ लोगों को हवाई यात्रा के दौरान शराब पीना काफी अच्छा लगता है. दुनिया भर में कई एयरलाइन्स फ्लाइटों पर एल्कोहल वाली ड्रिंक्स देते हैं, जिसका लोग जमकर लुत्फ उठाते हैं. लेकिन ऐसा करना लोगों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है. दरअसल, लंबी हवाई यात्रा पर शराब पीने और फिर झपकी लेने से दिल की बीमारी हो सकती है, ऐसा एक नवीनतम अध्ययन में पाया गया है.

मेडिकल जर्नल Thorax ने प्रकाशित हुए एक शोध में बताया है कि, हवाई यात्रा के दौरान शराब पीने से सेहत को नुकसान हो सकता है. दरअसल, हवाई जहाज में एयर प्रेशर कम होता है और शराब पीकर सोने से खून में ऑक्सीजन कम होता है. इससे उनका दिल की धडकन बढ़ती है, हाइपोबैरिक वातावरण में शराब पीकर सोने से दिल पर काफी दबाव पड़ता है, जो दिल और पल्मोनरी डिजीज के मरीजों को बहुत मुश्किल बना देता है. सिर्फ मरीज ही नहीं, बल्कि स्वस्थ लोग भी ऐसा करते हैं, जिससे हृदय स्वास्थ्य को बहुत नुकसान हो सकता है.

हवाई यात्रा में भूलकर भी न पीएं शराब

रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि, हवाई यात्रा पर अधिक शराब पीने से तबीयत अचानक खराब हो सकती है और जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं. ऐसा होने का अधिक खतरा बुजुर्गों और कई बीमारियों से पीड़ित लोगों में होता है. ऐसे लोगों को हवाई यात्रा के दौरान भूलकर शराब नहीं पीनी चाहिए. शोधकर्ताओं ने लोगों को सिर्फ सीमित मात्रा में शराब पीने की सलाह दी है. शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में 18 से 40 वर्ष की आयु के 48 लोगों को शामिल किया. इन दोनों को दो ग्रुपों में बाँटा गया था. पहले ग्रुप ने जमीन पर बैठकर शराब पी, जबकि दूसरे ग्रुप ने हवाई यात्रा के दौरान शराब पी थी.

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स्टडी में शामिल लोगों में सोने से पहले एयरोप्लेन में शराब पीने से ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशन 85 प्रतिशत से कम हो गया और 88 बीट प्रति मिनट की हार्ट बीट बढ़ी है. वही भूमि पर शराब पीने वालों का ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशन 95 प्रतिशत बढ़ा और हार्ट बीट 77 बीट प्रति मिनट बढ़ा था. US Center for Disease Control and Prevention ने बताया कि, स्वस्थ लोगों में आमतौर पर 95 प्रतिशत से 100 प्रतिशत ऑक्सीजन सैचुरेशन होता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि, 90 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन सैचुरेशन चिंता का कारण है, इससे दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

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