वट सावित्री पूजा आज, जाने शुभ मुर्हूत और पूजन विधि…
पति- पत्नी के प्यार और अटल निश्चय के गुणगान वाला पर्व वट सावित्री हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है. इस साल यह व्रत आज यानी 6 जून को रखा जा रहा है. आज के व्रत में सुहागिन औरते बरगत के वृक्ष की महिमा का गुणगान करती हैं. इसके लिए कुछ महिलाएं ज्येष्ठ के कृष्ण त्रयोदशी से तीन दिनों तक के व्रत करती हैं तो कुछ महिलाएं सिर्फ अमावस्या पर ही व्रत करती हैं. करवा चौथ की तरह ही इस व्रत का बहुत महत्व होता है. इस व्रत को बड़मावस भी कहते है, आइए वट सावित्री व्रत की पूजन विधि, सामग्री, शुभ मुहूर्त….
शुभ मुहूर्त
कृष्ण पक्ष अमावस्या : 06 जून संध्या 6:07 बजे तक
रोहिणी नक्षत्र : 06 जून रात्रि 08:16 तक
पूजन और व्रत विधि
पवित्र वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिनें सुबह उठकर स्नान करें, इस व्रत का संकल्प लें. इसके साथ ही सोलह शृंगार करें और पीला सिंदूर लगाएं. इस दिन यमराज और सावित्री की मूर्ति को बरगद के पेड़ के नीचे रखें. बरगद के पेड़ में जल डालकर अक्षत, फूल, पुष्प और मिठाई चढ़ाएं और रक्षा सूत्र को वृक्ष में बांधकर आशीर्वाद की प्रार्थना करें. साथ ही काले चने को हाथ में लेकर इस व्रत की कथा सुनें और वट वृक्ष की कच्ची धागा को सात बार परिक्रमा करें. कथा के बाद ब्राह्मण को दान दें, वस्त्रों को दक्षिणा दें और चने दें. अगले दिन व्रत को तोड़ने से पहले बरगद के वृक्ष का कोपल खाकर उपवास समाप्त करें .
व्रत पूजन सामग्री
पूजन के लिए सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, लाल कलावा, सुहाग का सामान, कच्चा सूत, बरगद का फल और कलश या थाल में जल भरने के लिए अन्य सामग्री शामिल करें.
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इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए विधि-विधान से करती हैं, सनातन धर्म में वट वृक्ष का बहुत सम्मान है. वट वृक्ष जीवन का प्रतीक हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी ओर संकेत करती हैं. सत्यवान और सावित्री की कहानी, जिसमें सावित्री अपनी सतित्व की शक्ति से यम से अपने पति सत्यवान को छीन लेती है. महिलाएं वृक्ष के चहुंओर कलावा बांध कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं.