घोसी लोकसभा : चौदहवीं बार फिर भूमिहार…

-अत्यंत कम संख्या वाले भूमिहार जाति के नेता इस संसदीय सीट की रहे हैं पहली पसंद

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मऊ में घोसी लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं की प्राथमिकता कहें या सबसे बड़ी पसंद लेकिन सच यही है कि घोसी की जनता ने लोकसभा में अपना नेता भेजने के लिए किसी जाति विशेष को सबसे ज्यादा महत्व और मौका दिया है तो वे हैं भूमिहार. इस सीट पर प्रथम संसदीय चुनाव से लेकर अब तक एक उपचुनाव समेत हुए कुल 19 चुनावों में 14वीं बार इसी बिरादरी के प्रत्याशी जीते हैं. इस बार भी चुनाव जीते समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार राजीव राय भूमिहार जाति के आठवें ऐसे नेता हैं जिन्हें 18वीं लोकसभा में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला है. भूमिहार के अलावा इस सीट पर सिर्फ एक बार राजपूत, दो बार चौहान, दो बार राजभर जातियों के नेताओं ने ही जीत हासिल की है.

जानें क्या रहा घोसी सीट का इतिहास ?

1952 में हुए प्रथम संसदीय चुनाव में यहां से ख्यात कानूनविद, संविधान सभा के सदस्य रहे पं. अलगू राय शास्त्री सांसद चुने गए. दूसरे चुनाव में राजपूत बिरादरी के बाबू उमराव सिंह कांग्रेस के सांसद चुने गए. तीसरी व चौथी बार भूमिहार बिरादरी के ही जयबहादुर सिंह, उनके निधन के बाद 1968 में हुए उपचुनाव में झारखंडे राय ने लगातार दो बार, 1977 में बीएलडी के शिवराम राय, 1980 में फिर सीपीआइ के झारखंडे राय, 1984 में कांग्रेस के राजकुमार राय जीते तो इनके बाद हुए लगातार चार चुनावों में कल्पनाथ राय ने अपना परचम फहाराया.

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उनके निधन के बाद 1999 व 2009 में बसपा से चौहान बिरादरी के क्रमश: में बालकृष्ण चौहान व दारा सिंह चौहान, 2004 व 2014 में क्रमश: सपा के चंद्रदेव प्रसाद राजभर व हरिनारायण राजभर चुनाव जीते. 2019 में पुन: बसपा के अतुल राय ने भूमिहार बिरादरी की उपस्थिति इस सीट पर दर्ज कराई तो 14वीं बार भूमिहार प्रत्याशी के रूप में राजीव राय इस समुदाय के आठवें नेता हैं जो घोसी संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व देश की सबसे बड़ी पंचायत में करेंगे.

 

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